अयोध्या केस का फैसला अब आने वाला है और पूरे देश की जनता को इसी का इंतजार है। शासन और पुलिस की नजर अब 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान और फिर उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तिथि पर केंद्रित हो गई है। कार्तिक पूर्णिमा स्नान तक मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था प्रभावी रहेगी। अब पूरा देश फैसले पर नज़रें गढ़ाए हुए है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले पर फैसला लेगी और आज हम आपको उन्ही 5 जज के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

1. जस्टिस रंजन गोगोई, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस मामले के मेन जज है। बात करें उनके पदभाग की तो उन्होंने 3 अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश ये पद ग्रहण किया था। उन्होंने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी। वे 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट में भी जज बन चुके हैं।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में बतौर जज 2010 में नियुक्त हुए। इसके बाद रंजन गोगोई 2011 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने जज का पदभार 2012 में संभाला। अयोध्या केस के अलावा भी रंजन गोगोई ने NRC, जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं आदि के मामले सुने हैं।

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2. जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (एस.ए. बोबड़े)

इस फैसले में दूसरे जज शरद अरविंद बोबड़े हैं। 24 अप्रैल 1956 में जन्मे शरद भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। वह मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। 1998 में वरिष्ठ वकील बनने के बाद उन्होंने 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट में जज के रूप में कार्यभार संभाला। 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली। वह 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

3. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़

धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं, वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया की कई बड़ी यूनिवर्सिटियों में लेक्चर दे चुके हैं। उन्होंने अयोध्या केस से पहले भी कई बड़े मामलों को देखा है जिनमे सबरीमाला, समलैंगिकता, भीमा कोरेगांव आदि शामिल है।

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4. जस्टिस अशोक भूषण

अशोक भूषण वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं। वे केरल उच्च न्यायालय के 31 वें मुख्य न्यायाधीश थे। 6 अप्रैल 1979 को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के साथ दाखिला लेकर वकालत में अपने करियर की शुरुआत की। 24 अप्रैल 2001 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में उच्चतर न्यायिक सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे 2015 में चीफ जस्टिस बने। 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला।

5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर

अयोध्या मामले की बेंच में शामिल जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की। उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की, बाद में वहां बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज कार्य किया। 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला।

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