संसद भवन में दोपहर के भोजन के लिए अब लोकसभा सचिवालय के साथ भोजन की कीमतों में संशोधन करने का फैसला नहीं किया जाएगा। कैंटीन पर महंगी होने को लेकर काफी आलोचना होने के बाद सरकार सब्सिडी के साथ काम करने का लिए सोच रही है। अभी फिलहाल, कैंटीन में 48 डिश मेनू में हैं। अलोकप्रिय वस्तुओं को हटाकर गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना भी शामिल होगा। हालांकि, मेनू से मांसाहारी वस्तुओं को पूरी तरह से हटाने का कोई कदम नहीं उठाया गया है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "हमें उम्मीद है कि बजट सत्र के दो हिस्सों के बीच नई दरों को अंतिम रूप दिया जाएगा और मार्च से संशोधित खाद्य दरों को लागू किया जाएगा।"

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उत्तर रेलवे द्वारा संचालित संसद कैंटीन में सब्सिडी पिछले साल दिसंबर में बिड़ला की अध्यक्षता में पार्टी नेताओं की बैठक में चर्चा के दौरान आई थी। कम से कम दो नेताओं ने कहा कि बिड़ला जानना चाहते थे कि संसद कैंटीन को कितनी सब्सिडी दी जाती है और कितने सांसद वहां नियमित रूप से खाते हैं।

बिड़ला को बताया गया कि पिछले वर्ष के लिए सब्सिडी 17 करोड़ रुपये थी, लेकिन सत्र के दौरान बहुत कम सांसदों ने कैंटीन में दोपहर का भोजन किया।

पिछले सप्ताह एचटी के साथ एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान, अध्यक्ष ने यह भी संकेत दिया कि संशोधित सूची में कुछ खाद्य पदार्थों को हटाया जा सकता है क्योंकि इस तरह की वस्तुओं की सीमित मांग है।

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उबली हुई सब्जियों से लेकर केसरी बाथ तक, कैंटीन में अब दोपहर और शाम के नाश्ते के लिए कुल 48 खाद्य पदार्थ परोसे जाते हैं। लेकिन पोहा, मटन कटलेट जैसी चीजें नियमित रूप से उपलब्ध नहीं होती हैं। कैंटीन के अधिकारियों के अनुसार, संसद परिसर में शाकाहारी थाली (40 रुपये) और चपाती (प्रत्येक 2 रुपये) सबसे अधिक मांग वाले भोजन हैं।

लोकसभा अधिकारियों के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 17 करोड़ रुपये की सब्सिडी में से केवल 24 लाख रुपये सांसदों के खाते में खर्च किए गए। बाकी आगंतुकों, सुरक्षा कर्मियों, सरकारी अधिकारियों और संसद को कवर करने वाले पत्रकारों के भोजन पर खर्च हुए। एक सत्र के दौरान, संसद में प्रतिदिन औसतन 4,500 लोग भोजन करते हैं।

2015 में 29 रुपये में कैंटीन खाना उपल्बध होता था, जिसको लेकर काफी आलोचना हुई थी, तब इस प्रस्ताव को लाया गया था। संसद की कैंटीन में खाने पर सब्सिडी माफ करने पर लगभग 17 करोड़ सलाना बचत होगी।

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तब से उन कीमतों में वृद्धि की गई है। अब, फलों का सलाद 10 रुपये में बेचा जाता है जबकि चिकन करी की कीमत 50 रुपये है। मसाला डोसा की कीमत 20 रुपये है।

अधिकारी ने यह भी कहा कि अब तक कैंटीन में उत्तर रेलवे को बदलने के लिए किसी भी विक्रेता को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

सूचना के अधिकार कानून के तहत एक क्वेरी से पता चला है कि 2010 से 2015 के बीच कैंटीन को 60.7 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिली थी।

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