कितने पढ़े लिखे हैं पीएम नरेंद्र मोदी, देखें उनकी डिग्री का ब्यौरा
भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधान मंत्री हैं। पीएम मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर बहुत सारे विवाद हुए हैं। लेकिन उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री और गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में कला की डिग्री में मास्टर की उपाधि प्राप्त की है।
विवाद इस पर ढ़ेर सारे रहे हैं। उन्हीं के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। पार्टी के नेता मीडिया के सामने इसको लेकर आए।
अमित शाह के पास वर्तमान में है इतने करोड़ की सम्पत्ति, यहाँ जानिए
मई 2016: अमित शाह और अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी की DU से प्राप्त डिग्री प्रतियां दिखाई
मई, 2016: डीयू रजिस्ट्रार तरुण दास मीडिया को बताते हैं कि रिकॉर्ड की जांच की गई है, पीएम की डिग्री प्रामाणिक है
मई, 2016: बीजेपी के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा, जो अब उत्तर प्रदेश के मंत्री हैं, कहते हैं कि मार्क शीट में मामूली विसंगतियां और पीएम की डिग्री में लेखन संबंधी त्रुटियां थीं।
मई, 2016: आम आदमी पार्टी भाजपा के दावों पर सवाल उठाती है और बताती है कि डिग्री 1979 का उल्लेख करती है जबकि मार्कशीट 1978 से है
जनवरी, 2017: केन्द्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने 1978 से संबंधित अभिलेखों का निरीक्षण करने के लिए डीयू को आदेश दिया
आपातकाल के दौरान संजय गांधी के इस फैसले ने इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर निकाल फेका
जनवरी, 2017: आचार्युलु को सीआईसी में एचआरडी मंत्रालय के प्रभारी से हटा दिया गया
मार्च, 2017: आरटीआई आवेदन के जवाब में डीयू स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग का कहना है कि इसमें 1978 के रिकॉर्ड नहीं हैं क्योंकि रिकॉर्ड केवल एक वर्ष के लिए बनाए जाते हैं और फिर बाहर निकलते हैं
मार्च, 2018: डीयू ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह आरटीआई अधिनियम के तहत 1978 में बीए परीक्षा लेने वाले छात्रों के ब्योरे का खुलासा नहीं कर सकता क्योंकि इसमें एक भरोसेमंद क्षमता में विवरण है
मई, 2018: एएसजी तुषार मेहता दिल्ली उच्च न्यायालय में डीयू के लिए उपस्थित हैं और अदालत के सुझाव का विरोध करते हैं कि हस्तक्षेप अदालतों को एमीकस के रूप में सहायता करते हैं, इस आधार पर कि हस्तक्षेप अजनबी और प्रचारक तलाशने वाले थे।
वो लवस्टोरी जिसके चलते दो दिग्गज राजनीतिक परिवारों में मची थी कलह
मई, 2018: हस्तक्षेप के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि उनका आरटीआई अधिनियम और उसके अधिकार क्षेत्र की उचित व्याख्या में रुचि बनी हुई है। इस प्रकार कभी भी स्पष्ट नहीं हो सका कि नरेन्द्र मोदी असल में कितने पढ़े हैं।