इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी पति पत्नी थे और इन दोनों ने प्रेम विवाह किया था। लेकिन शादी के बाद इन दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी। कहा जाता है फिरोज और इंदिरा दोनों एक-दूसरे को काफी अरसे से जानते थे।

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शुरुआत में फिरोज गांधी इंदिरा की सूझबूझ से काफी प्रभावित थे। उन्होंने ही इंदिरा गांधी को शादी के लिए प्रपोज किया था लेकिन इंदिरा ने उन्हें मना कर दिया था। बाद में उन्होंने इंदिरा को फिर से प्रपोज किया और काफी मशक्कत के बाद इंदिरा ने हां की। फिरोज गांधी की बहुचर्चित जीवनी, 'फिरोज : द फॉरगेटेन गांधी' में बार्टिल फाल्क ने फिरोज गांधी की जिंदगी से जुड़े कई मुद्दों को सामने रखा है।

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पंडित नेहरु को ये रिश्ता मंजूर नहीं था और वे इन दोनों के रिश्ते के बारे में पहले से जानते थे। जब फिरोज और इंदिरा लंदन में पढाई कर रहे थे तो एक दूसरे के काफी करीब आ गए और शादी करने का फैसला किया। इनकी जिद के सामने इंदिरा के पिता जवाहर लाल नेहरु को भी घुटने टेकने पड़े। इंदिरा के पिता जवाहरलाल नेहरू को दोनों के रिश्तों पर ऐतराज था।

शादी के कुछ दिनों बाद ही इंदिरा और फिरोज के रिश्तों में कड़वाहट आ गई। खासकर राजीव और संजय के जन्म के बाद दोनों के बीच दूरी बढ़ने लगी। 'फिरोज: द फॉरगेटेन गांधी' के अनुसार इन दोनों के बीच के झगड़े इतने बढ़ गए कि इंदिरा अपने दोनों बच्चों को लेकर लखनऊ स्थित अपना घर छोड़ कर पिता के घर इलाहाबाद आ गईं।

पंडित नेहरु के सामने इंदिरा को कह दिया ‘तानाशाह’

फिरोज ने पत्नी इंदिरा को तानशाह कहा। 1959 में इंदिरा गांधी चाहती थीं कि केरल में चुनी हुई सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। उस दौरान वह कांग्रेस की अध्यक्ष तो थी हीं, सरकार में भी उनकी चलती थी।

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इंदिरा को कह दिया फासीवादी

नाश्ता करते समय फिरोज ने इंदिरा को 'फासीवादी' तक कह डाला। तब उनके पिता जवाहर लाल नेहरू भी वहां मौजूद थे। तब से इंदिरा उनकी शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी।

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