महाभारत का युद्ध एक ऐसा युद्ध था जहां करोड़ो लोग मरे गए थे , इस महाकाल के युद्ध में कौरव-पांडव के बीच सिहांसन के लिए युद्ध चलता रहता था। कौरव-पांडव दोनों भाइयों की यही ख्वाहिश थी कि उनका पुत्र ही हस्तिनापुर का उतराधिकारी बने लेकिन सिहांसन पर बैठने की यह शर्त इस बात पर निर्भर करती थी कि दोनों राजाओं में से जिसका भी पुत्र पहले होगा वही हस्तिनापुर का उतराधिकारी बनेगा।

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दोनों भाईयों में धृतराष्ट्र बड़े थे और गांधारी से उनका विवाह भी पहले हुआ था, लेकिन विवाह के कई समय बाद तक भी धृतराष्ट्र और गांधारी की कोई संतान नहीं हुई थी। वही पांडू का विवाह कुंती से होने वाला था जिससे यह बात भी तय थी कि विवाह के बाद उनकी संतान भी होंगी और यदि उनकी संतान धृतराष्ट्र और गांधारी की संतान से पहले हो गयी तो नियमानुसार वही हस्तिनापुर की राजगद्दी में बैठेगी।

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एक दिन विवाह होने के इतने समय बाद भी अपनी संतान न होने के दुःख और सिंहासन के हाथ से निकलने के भय से धृतराष्ट्र व्याकुल होकर अपनी एक दासी के साथ ही अवैध संबंध बना बैठे, अवैध संबंध के चलते धृतराष्ट्र की दासी से जो पुत्र हुआ, वही बाद भी विकर्ण कहलाया। विकर्ण ने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से युद्ध में हिस्सा लिया था और सभी कौरवो में से विकर्ण ही एक ऐसा कौरव था, जो जीवित बच पाया था।

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