गांधारी 100 कौरवों की मां थी। लेकिन आप सभी के मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर गांधारी ने अकेले 100 पुत्रों को कैसे जन्म दिया? आज हम आपको इसी राज के बारे में बताने जा रहे हैं।

कैसे पैदा हुए कौरव

दरअसल 100 कौरवों के पैदा होने के पीछे एक वरदान है जो गांधारी को मिला था। ये वरदान उसे महर्षि वेदव्यास से प्राप्त हुआ था। वे एक समय हस्तिनापुर आए। गांधारी ने उनकी दिन रात सेवा की और इस से खुश हो कर उन्होंने गांधारी को 100 पुत्रों का वरदान दिया।

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इस वरदान के कुछ समय बाद गांधारी पेट से हो गई लेकिन उसका गर्भ 2 साल तक पेट में ही रहा। ये देख वह घबरा गई और उसने अपना गर्भ भी गिरा दिया। उसके पेट से लोहे के समान एक मांस पिंड निकला। ये बात महर्षि वेदव्यास ने अपनी दिव्य दृष्टि से देख ली थी।

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उन्होंने गांधारी से उस पर जल छिड़कने को कहा तो उसके 101 टुकड़े हुए। इसके बाद उन्होंने कहा कि इनमे घी भर कर जल में डाल दो और इन्हें दो साल बाद खोलना। इसके बाद गांधारी के 100 पुत्र और 1 कन्या उत्पन्न हुई।

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