सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से ही बॉलीवुड में नेपोटिज्म की चर्चा फिर शुरू हो गई है, कंगना रनौतका वीडियो, शेखर कपूर के ट्वीट और अभिनव भट्ट द्वारा किए गए सोशल मीडिया पोस्ट से लोगों के बीच बॉलीवुड में नेपोटिज्म वाले मुद्दे को फिर हवा दे दी है। जहां एक ओर पोस्टमार्टम रिपोर्ट से आत्महत्या की बात तय हो गई, वहीं दूसरी ओर डिप्रेशन की वजह को भी खंगाला जा रहा है।

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पिछले 35 वर्षों से बॉलीवुड और मीडिया इंडस्ट्री में काम कर रहे नरेंद्र गुप्ता के अनुसार बॉलीवुड में नेपोटिज्म है। सुशांत नेपोटिज्म का शिकार हुए हैं, बॉलीवुड में कुछ कैंप है जो कि रूल करते हैं. अगर उनके मन का हुआ तो अच्छा अन्यथा जो भी उनके विरोध में जाता है उसके खिलाफ यह सब एक हो जाते हैं, सुशांत के केस में भी ऐसा ही कुछ हुआ है यह नजर आता है।

सुशांत सिंह राजपूत का काम बढ़िया चल रहा था, लेकिन 'छिछोरे' फिल्म के बाद उनकी फिल्म 'ड्राइव' का सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जाना उन्हें काफी मायूस कर गया। यह फिल्म करण जौहर थी,उसके बाद 'दिल बेचारा' फिल्म का भी बुरा हाल हुआ. 'पानी' फिल्म जो कि शेखर कपूर का एक जबरदस्त प्रोजेक्ट था उसे भी फंडिंग नहीं मिल पा रही थी। इसकी वजह से काम रुक गया, सुशांत सिंह ने 'पानी' फिल्म के लिए कई सारे प्रोजेक्ट्स को छोड़ा था यह सारी चीजें उन्हें डिप्रेशन में ले गईं।

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नरेंद्र गुप्ता ने बताया कि ऐसा पहले भी हो चुका है, विवेक ओबरॉय, कंगना रनौत जैसे उदाहरण हम सभी के सामने हैं जहां पर इस नेपोटिज्म का शिकार यह दोनों एक्टर्स हुए हैं लेकिन इनका विल पावर था जिसके कारण ये आज भी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बने हुए हैं।

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