जानकारी के लिए बता दें कि 31 अक्तूबर 1984 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के दो सिख बॉडीगार्ड ने कर दी थी। ऐसे में उनकी 35वीं बरसी है।

उन्हीं के सुरक्षा कर्मियों ने गोलियों से छलनी कर दिया गया था। ये एक सामान्य दिन था और हर दिन की तरह वो अपने रूटीन काम कर के एक मैगजीन के इंटरव्यू के लिए जाने वाली थी।

अपने घर से बाहर निकलने पर उनकी हत्या उनके बॉडीगार्ड्स बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने की। इंदिरा को उन्होंने 25 गोलियों से भून दिया। उन्हें अस्पताल भी ले जाया गया लेकिन उनकी मौत हो गई।

इस कारण की गोलियों की बौछार

70 के दशक के मध्य से ही कुछ सिख समुदाय के लोगो ने अपने अलग देश खालिस्तान की मांग करने शुरू कर दिया। 1982–83 के समय सिख समाज द्वारा खालिस्तान की मांग जोर पकड़ने लगी और 1984में तो ये अपने चरम पर पहुंच गई। ये सब इतना अधिक जटिल हो गया था कि मामला हिंसा का रूप ले चूका था।

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भिंडरावाले के नेतृत्व में उग्र सिखों ने हिन्दुओ को मारना शुरू कर दिया। इस पूरी परिस्थिति को काबू में लाने के लिए इंदिरा ने कहा कि इस मामले के प्रमुख भिंडरावाले को पकड़ा जाए और इसके लिए कोई प्लान बनाया जाए।


भिंडरावाले ने हथियार स्वर्ण मंदिर में रखवा दिए। उसे लगा था कि पवित्र जगह पर सैनिकों को जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। 6 जून 1984 को सेना ने स्वर्ण मंदिर के प्रवेश किया और गोलीबारी में उनका प्रमुख भिंडरावाले मारा गया।

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इस से सिख और भी क्रोधित हो गए क्योकिं उन्होंने एक काफी पाक जगह पर सैनिकों को भेजा था। इंदिरा के पहरेदार भी सिख थे। किसी ने उन्हें नौकरी से हटाने के लिए भी कहा लेकिन इंदिरा नहीं मानी और 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी को गोली मार दी गयी।

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