फोन का इस्तेमाल तो हम सभी करते हैं और बहुत समय से हम ऐसी भी बातें सुनते आ रहे हैं जिन्हे हम सच मानते हैं लेकिन इनमे जरा भी सच्चाई नहीं है। इनमे से एक है कि फोन को रातभर चार्जिंग पर नहीं लगाना चाहिए। लेकिन ये सिर्फ अपवाह है और इनमे जरा भी सच्चाई नहीं है। अगर आप 2019 में भी इन बातों में विश्वास करते हैं तो आपको समझ लेना चाहिए। आइए जानते हैं इन झूठ के बारे में।

थर्ड पार्टी ऐप
आपने सुना होगा कि हम जब कोई थर्ड पार्टी स्टोर से कोई ऐप डाउनलोड करते हैं तो उसमे वायरस आता है लेकिन कई बार गूगल प्ले-स्टोर से ऐप डाउनलोड करने भी उसके साथ मैलवेयर आ जाते हैं। इसलिए ऐसा नहीं है कि आप प्ले स्टोर से कोई डेटा डाउनलोड करेंगे तो उसमे वायरस नहीं होगा।

ब्राइटनेस
आजकल के फोन में ऑटो ब्राइटनेस का विकल्प मिलता है। इसकी मदद से ब्राइटनेस अपने आप ही कम ज्यादा हो जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि आप धुप में हैं तो ब्राइटनेस बढ़ जायेगी और अँधेरे में हैं तो कम हो जाएगी। कुछ लोग मानते हैं कि इसे ऑन रखने से फोन की बैटरी जल्दी खत्म होती है लेकिन ऐसा नहीं है।

बैटरी
बैटरी को लेकर भी कई झूठे दावे किए जाते हैं। 1. स्मार्टफोन को तभी चार्ज करना चाहिए, जब बैटरी पूरी तरह से खत्म हो जाए। 2. पहली बार फोन को इस्तेमाल करने से पहले फुल चार्ज कर लें। 3. ज्यादा एमएएच की बैटरी अच्छी होती है। लेकिन इन तीनों में से किसी में सच्चाई नहीं है।

स्मार्टफोन का कैमरा
बहुत लोगों से आपने सुना होगा कि इस फोन का कैमरा 10,20 मेगापिक्सल है जबकि किसी अन्य फोन का 47 मेगापिक्सल है तो इसी फोन की कैमरा क्वालिटी अच्छी होगी, जबकि सच्चाई यह है कि फोटो की क्वालिटी कैमरे के मेगापिक्सल पर निर्भर नहीं करती है। मेगापिक्सल के साथ कैमरा लेंस, अपर्चर जैसी चीजें भी फोटो क्वालिटी के लिए जिम्मेवार होती हैं।

बैकग्राउंड ऐप
हुत से लोग मानते हैं कि फोन के बैकग्राउंड में कोई ऐप ओपन नहीं रखना चाहिए इस से फोन की बैटरी जल्दी खत्म होती है और फोन भी हैंग होता है। लेकिन ऐसा नहीं है, यदि आपके फोन के बैकग्राउंड में कोई ऐप ओपन है भी तो उसे ओपन करने पर वह तेजी से ओपन होगा। इससे फोन की बैटरी और कैमरा पर फर्क नहीं पड़ता है।

चार्जर
आपको कुछ लोगों ने सलाह दी होगी कि फोन के साथ मिले चार्जर से ही फोन को चार्ज करें। लेकिन यदि आप किसी दूसरे चार्जर से फोन चार्ज करते हैं तो इसका असर सिर्फ इतना पड़ता है कि फोन चार्ज होने में कम या अधिक समय लेता है।

सिग्नल
फोन में सिग्नल को लेकर लोग मानते हैं कि फोन में जितने सिग्नल नजर आ रहे हैं, नेटवर्क उतना ही बढ़िया है, जबकि सच्चाई कुछ और ही है। सिग्नल की क्वालिटी डेसीबल पर निर्भर करती है। इसलिए कई बार 1 सिग्नल होने पर भी फोन अच्छे से काम करता है और कई बार 3 सिग्नल होने पर भी सही नहीं चलता है।

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