क्या है क्रेडिट रेटिंग का मामला? जिसको लेकर राहुल गांधी ने एक फिर मोदी सरकार पर किया हमला
एक तरफ कोरोना कहर तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार बार कोई न कोई न्य मुद्दा लेकर केंद्र को घेरते रहते है, एक फिर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है.,राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार लोगों के लिए ज्यादा राहत पैकेज इसलिए नहीं देना चाहती, क्योंकि उसे यह डर है कि इससे भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग गिर जाएगी. यानी देश की रेटिंग बचाने के लिए सरकार लोगों को बचाने से डर रही है. आइए जानते हैं कि क्या है रेटिंग का यह मामला।
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क्या होती है सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग, इंटरनेशनल एजेंसियां देशों की सरकारों की उधारी चुकाने की क्षमता का आकलन करती हैं. इसके लिए इकोनॉमिक, मार्केट और पॉलिटिकल रिस्क को आधार बनाया जाता है. इस तरह की रेटिंग यह बताती है कि क्या देश आगे चलकर अपनी देनदारियों को समय पर पूरा चुका सकेगा। यह रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती हैं, जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है।
कुछ दिनों पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से सबसे पहले यह खबर दी थी कि मोदी सरकार कोरोना से निपटने के लिए राहत पैकेज पर 4.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं खर्च करना चाहती, क्योंकि उसे यह डर है कि ज्यादा खर्च करने से देश की सॉवरेन रेटिंग गिर जाएगी।
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12 मई को पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने का ऐलान किया और इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार पांच दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर करीब 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा कर दी, हालांकि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से लेकर तमाम आलोचकों ने कहा कि सरकार का राहत पैकेज पर वास्तव में खर्च 1.5 से 3 लाख करोड़ रुपये का ही है।