केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और मशहूर भगोड़े विजय माल्या की मुलाकात की खबर इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियों में छाई हुई है। विजय माल्या ने बुधवार को कहा था कि वह लंदन आने से पहले वित्त मंत्री से मिला था। हांलाकि देश के इस बड़े कारोबारी की बर्बादी कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। आज हम आपको इस स्टोरी में यह बताने यह बताने जा रहे हैं कि विजय माल्या की एक गलती ने उसका सब कुछ बर्बाद करके रख दिया।

जी हां, दोस्तों आपको बता दें कि किंगफिशर एयरलाइन्स की स्थापना वर्ष 2003 में हुई। कुछ सालों के अंदर ही यह कंपनी एविएशन सेक्टर की बड़ी कंपनी बन गई। यह कंपनी फायदे में जा रही थी, ऐसे में साल 2007 में देश की पहली लो कॉस्ट एविएशन कंपनी एयर डेक्कन का अधिग्रहण करने के लिए 30 करोड़ डॉलर (उस समय के हिसाब करीब 1200 करोड़ रूपए) की भारी भरकम रकम खर्च कर दी। इस सौदे से माल्या को इतना फायदा हुआ कि उसकी कंपनी किंगफिशर साल 2011 की देश की दूसरी बड़ी एविएशन कंपनी बन गई।

एयर डेक्कन को खरीदने में माल्या भले ही कामयाब रहा लेकिन किंगफिशर को मजबूती देने में वह नाकामयाब रहा। एयर डेक्कन का नाम बदलकर किंगफिशर रेड हो गया। यहां तक कि माल्या ने लो कॉस्ट और प्रीमियम सेवाओं में ज्यादा अंतर नहीं रखा, लिहाजा यहीं से असली समस्या शुरू हो गई।

गोपीनाथ के मुताबिक, इससे किंगफिशर और किंगफिशर रेड के बीच अपने कस्टमर बेस को छीनने की होड़ मच गई। लिहाजा किंगफिशर पर दोहरी मार पड़ी। फिर क्या था किंगफिशर रेड ने किराया बढ़ाने का फैसला लिया। अब कस्टमर इंडिगो या स्पाइसजेट जैसी लो कॉस्ट एयरलाइन्स की ओर रुख करने लगे।

माल्या को लगा कि एयर डेक्कन के कस्टमर किंगफिशर की ओर रुख करेंगे, लेकिन लो कास्ट के चलते ग्राहक दूसरी लो कॉस्ट एयरलाइन्स की ओर चले गए। लिहाजा 2012 में किंगफिशर एयरलाइन्स बंद हो गई और इसका सीधा असर उसके कारोबारी साम्राज्य पर पड़ा। देखते ही देखते ही विजय माल्या का पूरा कारोबार बर्बाद हो गया।

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