मंगल पांडेय को 1857 की महाक्रांति के लिए तैयार करने वाले दो देशभक्त संन्यासी
1857 के विद्रोह को महाक्रांति अथवा प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के रूप में देश-विदेश के सभी इतिहासकार एकमत से स्वीकार कर चुके हैं। इससे पहले इस घटना को सिपाही विद्रोह, भारतीय विद्रोह, ब्रिटीश हुकूमत के खिलाफ हिंदू-मुस्लिम षड्यंत्र आदि की संज्ञा दी गई। बता दें कि 1857 की यह महाक्रांति ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था, जो देश के विभिन्न हिस्सों में दो वर्षों तक चला।
इसकी शुरूआत तब मानी जाती है, जब 29 मार्च 1857 को उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मे मंगल पांडे ने बंगाल की बैरकपुर छावनी में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। उन दिनों मंगल पांडेय 34वीं बंगाल नेटिव इंफेन्टरी के साथ बैरकपुर में तैनात थे, उन्होंने एनफील्ड राइफल से मेजर हडसन की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद मंगल पांडेय को 8 अप्रैल, 1857 को फांसी दी गई थी। जब स्थानीय जल्लादों ने मंगल पांडेय को फांसी देने से मना कर दिया था, तब कोलकाता से चार जल्लादों को बुलाकर इस क्रांतिकारी को फांसी दी गई।
इस स्टोरी में आज हम उन बातों का खुलासा करने जा रहे हैं, जिनका उल्लेख इतिहास की पुस्तकों में बहुत कम किया गया है। इतिहासकार डा. एस.ऍल नागोरी और डा. प्रणव देव के अनुसार, भारत के दो संन्यासियों ने मंगल पांडेय के अंदर ब्रिटीश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह करने की ज्वाला पैदा की थी। जी हां, उन संन्यासियों का नाम था- स्वामी दयानंद सरस्वती और बंसुरिया बाबा।
स्वामी दयानंद सरस्वती से मंगल पांडेय ने पूछा था कि आप लोग अंग्रेजों से आजादी की मांग क्यों नहीं करते हो। तब स्वामी जी ने कहा था-बेटा, अंग्रेजों से अधिकार लेने के लिए हमे संघर्ष करना होगा। क्योंकि यह अंग्रेज अब मांगने से हमें कुछ भी नहीं देने वाले हैं।
डा. एस.ऍल नागोरी और डा. प्रणव देव ने लिखा है कि बंसुरिया बाबा ने ही मंगल पांडे के अंदर वीरता का भाव पैदा कर दिया था। बाबा से मिलकर मंगल पांडेय को यह विश्वास हो चुका था कि 1857 की यह क्रांति बंसुरिया बाबा पूरे देश में जरूर फैला देंगे। बंसुरिया बाबा की सबसे बड़ी खासियत यही थी कि वह लोगों के अंदर से मृत्यु का भय निकाल देते थे।
1857 की महाक्रांति पर लिखी गई पुस्तकों में इसका जिक्र मिलता है कि मंगल पांडे ने बंसुरिया बाबा और दयानंद सरस्वती से कई बार मुलाकात की थी। ये दोनों संन्यासी देश के विभिन्न हिस्सों में ब्रिटीश हुकूमत के खिलाफ जन जाग्रति पैदा कर रहे थे।