लोकसभा में पारित तीन तलाक बिल
तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत ) की इस प्रथा पर रोक लगाने के मसले से लाए गया तीन तलाक बिल (2018) , गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया है। इस बिल को लेकर सदन में काफी लम्बी बहस चली। बिल पर वोटिंग पूरी होने के बाद लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही गुरुवार को शुक्रवार , आज सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी। कांग्रेस और एआईएडीएमके समेत कई दलों ने बिल में जरूरी संशोधन को लेकर सदन से वॉक आउट कर दिया था लेकिन इसके बाद बिल पर वोटिंग करवायी गयी जिसमे बिल के पक्ष में 245 और विपक्ष में 11 वोट हुए। अब इस बिल को राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश होगा। अब देखना ये होगा के क्या इस बिल को पीएम मोदी की सरकार पास करेगी क्योंकि बिल को लेकर उच्च सदन में सरकार को बहुमत प्राप्त नहीं है।
इन सांसदों ने किया विरोध -
बिल पारित होने के विपक्ष में कई ने थे। जिसमे कांग्रेस के नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे, सुदीप बंदोपाध्याय, अन्नाद्रमुक के पी. वेणुगोपाल, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, राकांपा की सुप्रिया सुले, आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद और आप के भगवंत मान ने तीन तलाक बिल पारित करने का विरोध किया। उनका कहना था कि 'इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए,
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था कि 'यह अहम विधेयक है ओर इस पर विचार करने की जरूरत है, यह एक संवैधानिक मामला है. ये एक खास धर्म से संबंधित भी है इसलिए मैं आग्रह करता हूं कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
तीन तलाक के अलावा बहस के ओर भी मुद्दे -
एआईयूडीएफ के सांसद बदरुद्दीन अजमल का कहना था कि तीन तलाक के अलावा और देश में कई अहम मसले है। हमारी बहनों पर अत्याचार हो रहा है, दंगे - फसाद में कई लोग मारे जा रहे है उन पर भी ध्यान देने की जरूरत है , हम इस बिल के खिलाफ है क्योंकि यह इस्लाम में दखल देता है। आगे उनका कहना था कि शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य से जुड़े मामले भी है जिन पर हमे ध्यान देने की जरुरत है। सरकार को उनकी ओर भी देना चाहिए।
कांग्रेस समेत कई दल हुए वॉकआउट -
बिल को पारित कराने के पक्ष में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'तीन तलाक बिल किसी समुदाय, धर्म, आस्था के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए इंसाफ तय करेगा और पिछले कुछ समय में हमारे सामने तीन तलाक के करीब 477 मामले सामने आए है। यहा तक कि बुधवार को भी इसी तरह का एक और मामला हैदराबाद से हमारे पास आया इन्हीं वजह से हम ये अध्यादेश ला रहे थे।'
बता दे के प्रस्तावित कानून तीन तलाक बिल के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है. यह अपराध तब संज्ञेय होगा जब विवाहित मुस्लिम महिला या फिर उसका करीबी रिश्तेदार उस व्यक्ति के खिलाफ सूचना दे, जिसने तत्काल तीन तलाक दिया है।