भारत ने एक अनोखी सर्वधारी टोही प्रणाली का विकास कर लिया है। इस तकनीक के जरिए युद्ध के दौरान दुश्मन के युद्धपोतों और समुद्री लड़ाकू विमानों को परास्त करने में मदद मिलेगी। इस अत्याधुनिक प्रणाली को रूस से मिले समुद्र टोही विमान आईएल-38 पर तैनात किया जाएगा।

समुद्र टोही विमान आईएल-38 के नीचे इस कम्युनिकेशंस इंटेलिजेंस सिस्टम को तनौत किया जाता है।जिसमें जीपीएस एंटीना, सिग्नल प्रोसेसिंग, रिसीवर यूनिटें, पांच ब्लेड वाला एंटीना और एक लैपटॉप डिसप्ले भी शामिल है। इन उपकरणों के जरिए नौसेना का यह टोही विमान दुश्मन के पोतों, पनुब्बियों औऱ विमानों को अपने इलाके में घुसते ही पता लगा सकता है।

बता दें कि रूस ने 60 के दशक में अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का मुकाबला करने के लिए टोही विमान आईएल-38 का विकास किया था। जबकि भारतीय नौसेना को यह विमान 80 के दशक में मिले थे। मौजूदा समय में इंडियन एयरफोर्स के पास 8 आईएल-38 टोही विमान मौजूद हैं। अभी कुछ ही सालों पहले रूस ने इन विमानों में नय़ा रडार तथा सी ड्रैगन एवियानिक्स सूट लगाया था। इस विमान में सी-ईगल एंटी शिप मिसाइल लगे होते हैं, जिनसे दुश्मन के युद्धपोतों को लम्बी दूरी से नष्ट किया जा सकता है।

अब इस विमान में कम्युनिकेशंस इंटेलिजेंस सिस्टम की भी तैनाती कर दी जाएगी, जिससे दुश्मन के पोतों के भारतीय समुद्री इलाके में घुसते ही उनकी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को बेअसर कर सकता है। इस प्रकार यह विमान दुश्मन के युद्ध पोतों तथा विमानों को पंगु बना सकता है।

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