इस स्टोरी में आज हम आपको गुजरात की प्राचीन राजधानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी गुमनामी के पन्नों में भी विलीन हो चुकी थी, लेकिन 2004 में यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर का दर्जा देने के बाद से यह एक बार फिर से सुर्खियों में बनी हुई है। यह जगह हिंदू मंदिर, मस्जिद, जैन मंदिर तथा विशेष जल संग्रहण का नायाब नमूना है। जी हां, दोस्तों इस शहर का नाम चंपानेर-पावागढ़ है। चंपानेर-पावागढ़ के अहाते में मौजूद लकुलीश मंदिर, जैन मंदिर, कलिका माता मंदिर, केवड़ा मस्जिद, लीला गुम्बज की मस्जिद, कमानी मस्जिद तथा जामी मस्जिद, प्रशासनिक भवन वास्तु शिल्प कला का अद्भुत नमूना हैं।

यूनेस्को द्वारा संरक्षित चंपानेर-पावागढ़ उद्यान का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था। जिसे चावड़ा वंश के महाराज वनराज चावड़ा ने बनवाया था। यहां अलग-अलग प्रकार की 11 इमारतें मौजूद हैं। कुछ लोगों का मानना है कि महाराज ने इसका शहर का नाम चंपानेर अपने मंत्री चंपा के नाम पर रखा। वहीं दूसरे पक्ष के अनुसार, पावागढ़ की इमारतें पीले और लाल रंग के पत्थरों से बनी हुई हैं, जो कि दिखने में चम्पक फूल की तरह लगती हैं, इसलिए इसका नाम चंपानेर रखा गया।

मध्यकाल में चंपानेर गुजरात और मांडू के बीच में एक सबसे महत्वपूर्ण रास्ता बन चुका था। यह मार्ग गुजरात को उत्तर और दक्षिणी भारत से कारोबार करने में मदद देता था। पावागढ़ और चंपानेर शहर पर 1300 ईं में चौहान राजपूतों ने कब्ज़ा कर लिया और अधिकार करीब 200 वर्षों तक बना रहा। 1484 में करीब 20 महीने तक घेराबंदी करने के बाद सुल्तान महमूद बेगड़ा इस शहर पर अधिकार करने में सफल रहा। इस शहर का नाम अब मुहम्मदाबाद रख दिया गया।

1535 में मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने इस शहर पर विजय प्राप्त कर ली। मुग़लों ने जब गुजरात और मालवा पर अपना कब्ज़ा जमा लिया, तब व्यापारिक मार्ग से जुड़े इस शहर को बिल्कुल ही समाप्त कर दिया गया। मुगलों ने एक बार फिर से अहमदाबाद को राजधानी बना दिया। इसके बाद तकरीबन अगली चार शताब्दियों तक पावागढ़ गुमनाम बना रहा। मराठों के शासनकाल में भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया जिससे यह जंगलों से घिर गया।

19वीं सदी की शुरुआत में जब अंग्रेजों ने इस पर अपना अधिकार किया तब तक यह एक जंगल में तब्दील हो चुका था। इसके बाद ब्रिटिश पुरातत्त्ववेत्ता हरमन गोएट्ज ने पावागढ़ के बारे में शोध करना शुरू कर दिया। पावागढ़ में मौजूद किले की दीवारें 10 मीटर तक ऊंची हैं। यहां एक शाही महल हिस्सार-ए-खास और जमी मस्जिद है, जो पावागढ़ में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र हैं।

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