दोस्तों, करीब दो साल बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है नोटबंदी फेल है। बता दें कि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया को पहले से ही पता था कि नोटबंदी सफल नहीं होगी। इस बात का खुलासा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की बोर्ड बैठक की मिनट्स रिपोर्ट से हुआ है।

दरअसल मिनट रिपोर्ट का मतलब है कि बोर्ड की बैठक में जिन मुद्दों पर बात हुई है अथवा जो भी फैसले लिए गए है, उसका लिखित दस्तावेज होगा और उस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होंगे। आरबीआई के इस मिनट रिपोर्ट के मुताबिक, गवर्नर उर्जित पटेल ने यह साफ क दिया था कि सरकार को नोटबंदी से कोई कामयाबी नहीं मिलेगी। बावजूद इसके रिजर्व बैंक ने नोटबंदी की मंजूरी दे दी थी।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी ने जब 8 नवंबर 2016 को रात के 8 बजे नोटबंदी की घोषणा की थी, उसी दिन ठीक साढ़े तीन घंटे पहले यानि शाम 5.30 बजे नई दिल्ली में जल्दबाजी में मीटिंग बुलाई गई थी। उस मीटिंग के दौरान दर्ज हुए मिनट रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक के डायरेक्टर्स ने नोटबंदी को मंजूरी तो दी थी, लेकिन उसके नकारात्मक असर बता दिए थे।

आरबीआई की मिनट रिपोर्ट

- नोटबंदी से देश की जीडीपी पर नकारात्मक असर पड़ेगा। देश की जीडीपी 1 फीसदी तक गिर जाएगी।

- नोटबंदी से ना ही कालाधन खत्म होगा और ना ही कैश इकनॉमी पर लगाम लगेगी। वजह है देश का ज्यादातर कालाधन सोना और रियल स्टेट में लगा हुआ है।

- वित्त मंत्रालय ने बताया आरबीआई को बताया था कि देश में 400 करोड़ रुपये के नकली नोट हैं, जो नोटबंदी के बाद खत्म हो जाएंगे। इस पर आरबीआई ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि 400 करोड़ रुपए इतनी बड़ी रकम नहीं है कि उसके लिए नोटबंदी की जाए।


- मोदी सरकार ने कहा था कि देश में बड़ी मात्रा में नकदी चलन में है, जिसे कम करने की जरूरत है। इस पर आरबीआई ने कहा था कि भारत बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और भारत की ग्रोथ रेट इसलिए ही ज्यादा है, क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में नोट चलन में हैं।

- सरकार ने नोटबंदी लागू करते वक्त महंगाई का तनिक भी ध्यान नहीं रखा।

गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद ना ही कालाधन खत्म हुआ और ना ही आतंकवाद रुका है। यहां तक कि नक्सली हमले भी लगातार हो रहे हैं। नवंबर 2016 की तुलना में डिजिटल पेमेंट भी कम हो चुका है।

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