इंटरनेट डेस्क। मार्च 2017 में सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने यह बयान देकर सबकों को चिंता में डाल दिया है कि भारतीय सेना युद्ध के मोर्चे पर चीन और पाकिस्तान से एक साथ निपटने में सक्षम नहीं है। रावत का कहना है कि पड़ोसी देश चीन अब अमेरिका को टक्कर देने की स्थिति में आ चुका है। ग्लोबल इंडेक्स 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य ताकत में कुल 133 देशों के लिस्ट में भारत चौथे नंबर पर काबिज है। इस सूची में अमेरिका, चीन, रूस इसके बाद भारत को स्थान दिया गया है।

वहीं स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है। इधर 5 वर्षों में भारत ने कुल 24 प्रतिशत ज्यादा हथियारों का आयात किया है। दुनिया के आयातित हथियारों में भारत को हिस्सा कुल 13 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत मित्र देश रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है। मतलब साफ है कि भारतीय सेना दूसरे देश के हथियारों पर ही टिकी हुई है।

इस प्रकार यह आसानी से कहा जा सकता है कि हथियारों के लिए दूसरे देशों का मुंह ताकने वाली भारतीय सेना खुद को ताकतवर कैसे कह सकती है। अगर देखा जाए तो वैश्विक राजनीति जब करवट लेती है तो सहयोगी देश भी मुंह फेर लेते हैं। ऐसे में भारतीय सेना क्या करेगी।

गौरतलब है कि भारतीय सेना के लिए मित्र देश रूस से करीब 70 प्रतिशत सैन्य हथियार खरीदे जाते हैं। लेकिन अगर संयोग से रूस ने भारत की जगह किसी और देश को चुन लिया तो भारतीय सेना का क्या होगा। आज की तारीख में भारत की दोस्ती भले ही अमेरिका से है, लेकिन संबंध खराब होने पर हम किस देश से सर्वश्रेष्ठ हथियार खरीदेंगे। फिर सैन्य हथियारों के लिए आखिर कब तक हम दूसरे देशों पर निर्भर रहेंगे।

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