20 अगस्त, 1944 में मुंबई में जन्मे राजीव गांधी का अधिकांश बचपन तीन मूर्ति भवन में बीता। बचपन के दिनों में वह अपने नाना पं. जवाहर लाल नेहरू के साथ रहते थे।

दून कॉलेज से प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद राजीव गांधी कॉलेज एजुकेशन के लिए लंदन चले गए। इसके बाद राजीव गांधी ने इंपीरियल कॉलेज (लंदन) से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

इलाहाबाद के बाद अब योगी आदित्यनाथ बदलेंगे UP के इस जिले का नाम

लंदन स्वदेश आने के बाद भारतीय राजनीति से दूर एक आम इंसान की तरह कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस प्राप्त कर इंडियन एयरलाइंस में पायलट बन गए और नौकरी करनी शुरू कर दी। साल 1966 में राजीव गांधी एक प्रोफेशनल पायलट बन गए। आपको जानकारी के लिए बता दें कि राजीव गांधी बतौर पायलट इंडियन एयरलाइंस में नौकरी करते हुए दिल्ली-जयपुर-आगरा रूट पर विमान उड़ाते थे।

जब राजीव को छोड़नी पड़ी पायलट की नौकरी

संजय गांधी की मौत से पहले राजीव गांधी को सियासी राजनीति से कोई लेना देना नहीं था। इंदिरा गांधी पर ज्योतिषियों का विशेष प्रभाव था। उन दिनों एक गुजराती समाचार पत्र में खबर छपी थी कि एक ज्योतिषी ने संजय के बारे में जो भविष्यवाणी की थी, वह सच साबित हुई। अब वही ज्योतिषी राजीव पर भी संकट आने के संकेत दे रहा है।

महाराष्ट्र CM पद के नए दावेदार उद्धव ठाकरे के निजी जीवन के बारे में आपको भी नहीं पता होगी ये बातें

इस प्रकार संजय की मौत के बाद इंदिरा के कहने पर राजीव ने पायलट की नौकरी छोड़ दी और कांग्रेस में राजनीतिक पारी की शुरूआत की। साल 1981 में राजीव गांधी पहली बार अमेठी से लोकसभा के लिए निर्वाचित किए गए। कुछ ही दिनों राजीव गांधी की साख बढ़ी और अपनी मां इंदिरा गांधी को सलाह तक देने लगे।

सियाचिन में ऐसी लाइफस्टाइल जीते हैं जवान, जानकर सीना गर्व से हो जाएगा चौड़ा

कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद राजीव गांधी पर कभी विपक्ष की अनदेखी करने के आरोप कभी नहीं लगे। साल 1989 में कांग्रेस की हार के बावजूद वह एक आम कार्यकर्ता की तरह कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने की तैयारी करने लगे। माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट तथा नरसिम्हा राव जैसे कांग्रेसी नेता राजीव गांधी की ही देन हैं, जो भारतीय राजनीति की फलक तक पहुंचे।

Related News