इंटरनेट डेस्क। 26 जुलाई 2018 को कारगिल विजय के 19 साल पूरे हो रहे है। 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के दौरान नरेंद्र मोदी और इजरायल ने संकट मोचक की भूमिका निभाई थी। कारगिल युद्ध के दौरान यदि इजरायल ने मदद नहीं की होती तो यह युद्ध और लंबा चलता। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कारगिल युद्ध में इजरायल और नरेंद्र मोदी ने कैसे की थी भारतीय सेना की मदद।

इजरायल ने दिए थे टोही विमान और खतरनाक मिसाइलें

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना दुर्गम पहाड़ियों के बीच केवल अपने साहस के दम पर टिकी हुई थी। इंडियन आर्मी को यह आदेश मिला था कि केवल अपनी सीमा में रहकर ही ​हमले का जवाब देना है, वरना एलओसी पार करते ही युद्ध विकराल रूप ले लेता। उधर पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वायुसेना के केनबरा पीआर-57 को बर्बाद कर दिया था, जिससे सेना की टोही व्यवस्था बिल्कुल बेकार हो चुकी थी। दुश्मनों के सटीक जानकारी के अभाव में भारतीय सेना के लड़ाकू विमान बेकार साबित हो रहे थे।

ऐसी विकट परिस्थिति में इजरायल ने भारत को खतरनाक लेजर मिसाइलें और मानव रहित टोही विमान उपलब्ध कराए थे, जिसकी बदौलत भारतीय सेना यह युद्ध जीतने में सफल रही थी। यहां तक कि इजरायल ने अपनी मिलिट्री सेटेलाइट से दुश्मन इलाके की तस्वीरें भी भारत को हासिल करवाई थी। कारगिल युद्ध के बाद भारत और इजरायल की दोस्ती और भी प्रगाढ़ हो गई।

कारगिल युद्ध के दौरान मोदी का महत्वपूर्ण अमेरिकी दौरा

अमेरिकी सुरक्षा ऐजेंसियां इस बात का पहले ही खुलासा कर चुकी हैं कि बतौर संघ प्रचारक नरेंद्र मोदी एक जुलाई 1999 को अमेरिका के वाशिंगटन पहुंचे थे, जहां उन्होंने ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ द बीजेपी की सहायता से कई अमेरिकी सांसद के साथ बैठक की। इसके बाद अमेरिकी सांसदों ने तत्कालीन प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन पर यह दबाव बनाया था कि वह आदेश जारी करें कि पाकिस्तान कारगिल से अपनी सेना वापस लौटा लें। मोदी के भारत लौटने के ठीक 5 दिन बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अमेरिकी दौरा किया था।

प्रधानमंत्री मोदी को पता है इजरायल की अहमियत

नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने इजरायल का दौरा किया। इससे पहले किसी प्रधानमंत्री ने इजरायल का दौरा नहीं किया था। चूंकि कारगिल युद्ध में इजरायल और नरेंद्र मोदी दोनों ने ही संकटमोचक की भूमिका निभाई थी। नरेंद्र मोदी की नजरों में कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल की अहमियत कितनी रही, उसे वह अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री बनते ही सबसे पहले इजरायल दौरा किया और सबसे पहले रक्षा प्रणाली से जुड़े सौदों को अहमियत दी। इस दौरे का परिणाम यह रहा कि भारतीय सेना को खतरनाक एंटी मिसाइल सिस्टम बराक और स्पाइक मिसाइलें मिलीं।

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