इंटरनेट डेस्क। कारगिल युद्ध में मेजर पद्मपाणि आचार्य को उनकी बेमिशाल बहादुरी के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया। जब मेजर पद्मपाणि आचार्य देश के लिए शहीद हुए, उस वक्त उनकी बेटी अपनी मां के गर्भ में थी। मेजर पद्मपाणि आचार्य की बेटी अपराजिता अपने महावीर पिता की बहादुरी के किस्से सुन सुनकर बड़ी हुई। अपने इस शहीद पिता के बारे में कभी किताबों में पढ़ा, कभी फिल्मों में देखा तो कभी दूसरों से इनकी शौर्य गाथा सुनी।

19 साल की हो चुकी अपराजिता ने अपने पिता को श्रद्धांजलि देने के लिए पूरी किताब ही लिख डाली। इस किताब का विमोचन मेजर पद्मपाणि आचार्य के साथी रहे तेलंगाना सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल एन. श्रीनिवास राव ने किया है।

मेजर पद्मपाणि आचार्य की बेटी अपराजिता का कहना है कि पिता के शहीद होने के तीन माह बाद मेरा जन्म हुआ। मैं अपने पिता को नहीं देख पाई, लेकिन मुझे उनकी बेटी होने पर गर्व है। उन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी। मेजर पद्मपाणि की शौर्य गाथा, उनकी तस्वीरें, उनके द्वारा घर भेजी गई चिटिठयां तथा घर से जुड़े उनके तमाम किस्से बेटी अपराजिता ने इस किताब में समाहित कर रखी है।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि इंडियन आर्मी के राजपूताना राइफल्स में शामिल मेजर पद्मपाणि आचार्य कारगिल युद्ध में लड़ते हुए 28 जून 1999 को वीरगति को प्राप्त हुए थे। मरणोपरांत मेजर पद्मपाणि को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कारगिल युद्ध के साथी मेजर जनरल राव का कहना है कि मेजर आचार्य ना केवल इंडियन आर्मी बल्कि देशभर के युवा साथियों के लिए एक रोल मॉडल हैं। गौरतलब है कि बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक जेपी दत्ता की फिल्म एलओसी- करगिल में अभिनेता नागार्जुन ने महावीर चक्र विजेता मेजर पद्मपाणि आचार्य की भूमिका निभाई थी।

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