इंटरनेट डेस्क। 1990 में बीजेपी के पितामह लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली थी। हांलाकि इस रथयात्रा ने आडवाणी की लोकप्रियता और उनके राजनीतिक कद में काफी इजाफा हुआ। खैर जो भी हो, इस रथयात्रा के चलते नरेंद्र मोदी की जिंदगी ही बदल गई। आपको बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के प्रबंधन की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी और प्रमोद महाजन को मिली थी। इसके बाद ये दोनों ही नेता कुछ ही वर्षों में भारतीय राजनीति के पटल पर जादू की तरह छा गए।

बीजेपी में कद्दावर हैसियत रखने वाले प्रमोद महाजन की हत्या उनके ही भाई ने कर दी, और इसी के साथ उनकी पटकथा खत्म हो गई। लेकिन नरेंद्र मोदी पहले गुजरात की राजनीति के हीरो बनकर उभरे, इसके बाद अब देश के प्रधानमंत्री के रूप में।

बतौर गुजरात बीजेपी महासचिव नरेंद्र मोदी ने 13 सितंबर 1990 को आडवाणी के रथयात्रा संबंध कार्यक्रमों की जानकारी मीडिया को दी थी। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, आडवाणी रथयात्रा 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ शुरू होकर 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में समाप्त होनी थी। आडवाणी रथयात्रा प्रबंधन की कामयाबी ने नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने एक और मौका दिया।

मोदी को मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा का प्रबंधन दिया गया, जो कि कन्या कुमारी से कश्मीर तक चली। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें साल 1995 में बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी नियुक्त किया गयां 1998 में महासचिव तत्पश्चात 2001 से लेकर 2014 तक गुजरात के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका अदा की। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर से पूरा भारत वाकिफ है, जिसने बीजेपी को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में पहली बार लाने का काम किया।

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