भारत के बेशकीमती हीरे कोहिनूर को लेकर आम जनता के बीच काफी कौतूहल रहता है। भारत के लोग यह जानना चाहते हैं कि यह बेशकीमती हीरा आखिर ब्रिटेन कैसे चला गया। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई के जरिए जब यह जानकारी मांगी कि क्या बेशकीमती हीरा कोहिनूर ब्रिटिश हुकूमत को उपहार में दिया गया था या फिर कोई अन्य कारण था।

इस प्रश्न के जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने लिखा कि लाहौर के महाराजा ने करीब 170 वर्ष पहले इंग्लैंड की महारानी को 108 कैरेट का कोहिनूर समर्पित किया था न कि उन्हें सौंपा था। मतलब साफ है कि भारत के बेशकीमती कोहिनूर हीरे को लाहौर के महाराजा ने ब्रिटेन को सरेंडर किया था।

अप्रैल 2016 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कोहिनूर की अनुमानित कीमत 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा है जिसे न तो चुराया गया था, न ही अंग्रेज शासक उसे जबर्दस्ती ले गए थे बल्कि पंजाब के पूर्ववर्ती शासकों ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया था।

राष्ट्रीय अभिलेखागार के मुताबिक, 1849 में लाहौर संधि के दौरान महाराजा दिलीप सिंह ने अंग्रेज गर्वनर लॉर्ड डलहौजी को कोहिनूर हीरा इंग्लैंड की महारानी के नाम समर्पित कर दिया था। गौरतलब है कि महाराजा रणजीत सिंह ने बेशकीमती कोहिनूर हीरे को शाह सुजा उल मुल्क से लिया था, जिसे लाहौर के महाराजा ने इंग्लैंड की महारानी को समर्पित कर दिया।

अगर देखा जाए तो लाहौर संधि के समय दिलीप सिंह नाबालिग थे, ऐसे में दिलीप सिंह की इच्छा पर अंग्रेजों को कोहिनूर नहीं सौंपा गया था। इस प्रकार पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और केंद्र सरकार तथा राष्ट्रीय अभिलेखागार के तथ्यों पर हमें गौर करने की जरूरत है।

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