आज हम आपको इंडिया गेट के बारे में बताने जा रहे है। इंडिया गेट दिल्ली में है ये तो आप जानते है लेकिन इसके बनने के पीछे की पूरी कहानी सायद ही आप जानते होंगे तो चलिए आज जानते है इसके बारे में। इंडिया गेट पुरे भारत का महत्‍वपूर्ण स्‍मारक है। इस स्‍मारक में अफगान युद्ध-1919 के दौरान पश्चिमोत्‍तर सीमांत में मारे गए 13516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम अंकित है। इन्ही सैनिकों के सम्मान के लिए इंडिया गेट का निर्माण किया गया था।

लेकिन आज हम इंडिया गेट में जल रहे ‘अमर जवान’ ज्योति की बात करेंगे। कई वर्ष से इंडिया गेट पर ‘अमर जवान’ ज्योति को आप जलते देख रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह 24 घंटे और सातों दिन कैसे जलती है। दरअसल, इस लौ को प्रज्ज्वलित रखने के लिए पाइप लाइन के जरिए गैस ‘अमर जवान’ ज्योति तक लगातार पहुंचती है जिसके मदद से लौ हर समय जलती रहती है।

पाकिस्तान से 1971 की जंग के बाद बनाए गए ‘अमर जवान’ स्मारक की इस ज्योति का रखवाला तभी से दिन रात काम करता है। इसके लिए चंदर सिंह बिष्ट को हमेशा यहीं रहना पड़ता है। चंदर सिंह बिष्ट रक्षा मंत्रालय से रिटायर हो चुके हैं लेकिन इस लौ का मोह वह शायद ताजिंदगी न छोड़ पाएंगे। इन्ही जज्बात के साथ जीते चंदर सिंह बिष्ट परिवार से मिलने साल में दो बार ही जा पाते हैं।

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