340 कमरों के घर में रहते हैं देश के राष्ट्रपति, जानिए इसकी खासियतें
रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति है। ये बात आप सभी जानते होंगे कि राष्ट्रपति को रहने के लिए राष्ट्रपति भवन भी दिया जाता है। आज हम इसी खूबसूरत घर के बारे में बात करने जा रहे हैं। आइये जानते हैं कि कैसा होता है राष्ट्रपति का यह आलिशान घर।
भारत का राष्ट्रपति भवन
दिल्ली में राजपथ पर पश्चिमी छोर पर एक विशाल इमारत बनी है वही राष्ट्रपति भवन है। लोहे के बड़े से दरवाजे और एक लंबे रास्ते के बाद एक भव्य महल दिखाई पड़ता है, जहाँ पर देश के वर्तमान राष्ट्रपति निवास करते हैं।
340 कमरे हैं इस घर में
दिल्ली की रायसीना पहाड़ी पर स्थित इसी सरकारी आवास 'राष्ट्रपति भवन' में रहते हैं। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि इस घर में 340 कमरे है। इस विशाल महल जैसे घर को 1950 तक वायसराय हाउस बोला जाता था क्योंकि उस वक्त यह भारत के गवर्नर जनरल का घर था।
कितने एकड़ में है फैला
यह इमारत 330 एकड़ में फैली हुयी है। बात करें इसके डिजाइन की तो बता दें कि इस भव्य इमारत को 'सर एडविन लुटियन्स' ने तैयार किया था। इस शानदार घर के अंदर 340 कमरे, 37 सभागृह, 74 बरामदे, करीब 2.5 किलोमीटर का गलियारा, 18 सीढ़ियां और 37 फव्वारे हैं। इतना ही नहीं, यहाँ आपको वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना भी देखने को मिलेगा।
कब हुआ निर्माण
इस भव्य इमारत को बनाने का काम 1912 में शुरु किया गया था जो 1929 में जाकर पूरा हो पाया था। इसको बनाने में 17 साल लगे। अब आप इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगा सकते हैं। इस भवन के मुख्य शिल्पीकार 'एडविन लैंडसीर लुटियंस' थे।
कितने रुपए आई लागत
राष्ट्रपति भवन के निर्माण में लगभग 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च हुए थे। बता दें कि यह राशि आज से 88 साल पहले खर्च की गई थी।
कौनसे कमरे में रहते हैं राष्ट्रपति
भारत के वर्तमान राष्ट्रपति उन कमरों में नहीं रहते जहां वायसराय रहा करते थे। बता दें कि भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी को यहां का मुख्य अतिथि कक्ष बहुत आकर्षक लगा और उन्होंने वहीं रहने का फैसला किया। उसके बाद से भारत के सभी राष्ट्रपति अतिथि कमरे में ही रहते हैं।
मुगल गार्डेन
राष्ट्रपति भवन के बारे में सबसे ज्यादा चर्चित चीजों में से एक है मुगल गार्डेन। यह 13 एकड़ में फैला है और यहाँ आपको खूबसूरत और आकर्षक कई तरह के देशी और विदेशी फूल दिखाई देंगे।
वास्तु विशेषताऐं
2 लाख वर्ग फुट में बने इस भवन में 70 करोड़ ईंटें तथा 30 लाख क्यूबिक फुट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। वन के स्तम्भों पर उकेरी गई घंटियां हिन्दू, जैन और बौद्ध मन्दिरों की घंटियों की ही तरह हैं, इसके स्तंभों को बनाने में कर्नाटक के एक जैन मंदिर से प्रेरणा ली गयी थी।
सुरक्षा में इतने लोग रहते हैं तैनात
भवन में राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए 220 से भी ज्यादा लोग शामिल हैं जिसमें 161 सेना के जवान, घुड़ससवार और अन्य अधिकारी शामिल हैं।