इंटरनेट डेस्क। देश के पहले गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल को पूरा देश यूं ही सरदार और लौह पुरूष नहीं कहता है। सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश की मजबूती और एकीकरण के लिए जो अदभुत काम किया, वह किसी अन्य भारतीय राजनेता के वश की बात नहीं थी।

लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल अपनी पूरी जिंदगी देश के नाम होम कर दी। उन्होंने नि:स्वार्थभाव से भारत की सेवा की। आजादी के दौरान एक बार वह बतौर एडवोकेट कोर्ट में एक मुकदमे की पैरवी कर रहे थे, तभी बीच में अचानक उनके नाम से टेलीग्राम आया।

इस टेलिग्राम को पढ़कर उन्होंने इसे अपनी जेब में रखते हुए जज के सामने मुकदमें की पैरवी जारी रखी। मुकदमे की बहस खत्म होने के बाद पता चला कि टेलिग्राम में सरदार वल्लभ भाई पटेल की पत्नी की मौत का समाचार लिखा हुआ था। पत्नी की मौत का गम भुलाने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल बैरिस्टरी की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। ऐसे थे सरदार वल्लभ भाई पटेल।

साल 1930 में एक बार गुजरात में प्लेग फैल गया, उस वक्त वल्लभ भाई पटेल ने किसी की बात नहीं सुनी और अपने एक मित्र की सेवा करने के लिए उसके पास पहुंच गए। फिर क्या था, प्लेग ने वल्लभ भाई पटेल को भी जकड़ लिया। इसलिए उन्हें तकरीबन महीनेभर एक पुराने मंदिर में रहना पड़ा था।

बचपन के दिनों में घटी एक घटना ने वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरूष बना दिया। दरअसल बचपन के दिनों में वल्लभ भाई पटेल की काख में एक फोड़ा हुआ था। उनके परिजनों ने इस फोड़े का खूब उपचार करवाया लेकिन यह ठीक नहीं हो रहा था। तभी एक वैद्य ने सलाह दी कि यदि इस फोड़े को गर्म सलाखों से दागा जाए तभी यह फोड़ा ठीक हो सकता है। वैद्य की बात सुनकर वल्लभ भाई पटेल के घरवाले सहम गए, और किसी ने भी ऐसा करने की हिम्मत नहीं दिखाई। फिर क्या था, बालक वल्लभ भाई पटेल ने बिना विचलित हुए ही सलाखें गर्म की और खुद के फोड़े का दाग दिया जिससे यह फोड़ा फूट गया। इस प्रकार वल्लभ भाई पटेल का यह अद्भुत साहस देखकर उनका पूरा परिवार दंग रह गया था।

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