DEMO PIC

महाभारत के इंद्रलोकाभिगमन पर्व में इस बात की जानकारी मिलती है कि महान योद्धा अर्जुन को भी किन्नर बनना पड़ा था। महाभारत ग्रंथ के मुताबिक, महान योद्धा अर्जुन देवराज इंद्र की कृपा से जन्मे थे। कौरवों और पांडवों के बीच गहराते विवाद को देखते हुए अर्जुन अपनी शक्ति बढ़ाने में जुटे थे। इसी बीच देवराज इंद्र ने अर्जुन को दिव्यास्त्रों की गहरी शिक्षा लेने के लिए इंद्रपुरी ​बुलाया।

DEMO PIC

एक दिन जब चित्रसेन अर्जुन को संगीत और नृत्य की शिक्षा दे रहे थे, वहां पर इन्द्र की अप्सरा उर्वशी आई और अर्जुन पर मोहित हो गई। अवसर पाकर उर्वशी ने अर्जुन से कहा, हे अर्जुन ! आपको देखकर मेरी काम-वासना जागृत हो गई है, अतः आप मेरे साथ विहार करके मेरी काम-वासना को शांत करें। अर्जुन ने कहा कि हमारे पूर्वज ने आपसे विवाह करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था अतः आप हमारी माता के तुल्य हैं। काम वासना से पीड़ित उर्वशी ने क्रोधित होकर अर्जुन को नर्तक बन स्त्रियों के बीच रहने और नपुंसक होने का श्राप दे दिया। DEMO PIC

जब इन्द्र को इस घटना के विषय में ज्ञात हुआ तो वे अर्जुन से बोले, वत्स! तुमने जो व्यवहार किया है, वह तुम्हारे योग्य ही था। उर्वशी का यह श्राप भी भगवान की इच्छा थी, यह श्राप तुम्हारे अज्ञातवास के समय काम आएगा। अपने एक वर्ष के अज्ञातवास के समय तुम पुंसत्वहीन रहोगे और अज्ञातवास पूर्ण होने पर तुम्हें पुनः पुंसत्व की प्राप्ति हो जाएगी।

Related News