लखनऊ: उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जो हाल ही में धोखाधड़ी, जालसाजी और मौत की धमकी की धाराओं के तहत बलात्कार के मामले में जमानत पर बाहर आए थे। चित्रकूट की बलात्कार पीड़िता भी मामले में आरोपी थी। यह प्राथमिकी पीड़ित के वकील दिनेश चंद्र त्रिपाठी की ओर से दायर की गई है।

जालसाज ने पुलिस को धोखाधड़ी, जालसाजी के पुख्ता सबूत दिए हैं। स्नैच का कहना है कि मामले को बचाने के लिए, बलात्कार पीड़िता और आरोपी के बीच करोड़ों का लेनदेन हुआ है। वकील ने आरोप लगाया कि गायत्री प्रजापति ने मामले में पीड़ित को करोड़ों की संपत्ति हस्तांतरित की है, और उसने पुलिस को मजबूत सबूत दिए हैं। गौरतलब है कि प्रजापति के खिलाफ एक महिला ने बलात्कार के आरोप लगाए हैं, जो अखिलेश सरकार में मंत्री थे, जिसके बाद फरवरी 2017 में शीर्ष अदालत के आदेश पर गायत्री प्रजापति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

लेकिन यह मामला उस समय पलट गया जब बलात्कार पीड़िता ने अदालत में गायत्री प्रजापति के पक्ष में बयान दिए और गवाह राम सिंह के खिलाफ बलात्कार के लिए एफआईआर दर्ज करवा दी। जिसके बाद पुलिस ने 5 सितंबर को रामसिंह को गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं बल्कि गवाह राम सिंह की गिरफ्तारी के बाद 2 इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह (गौतमपल्ली) और क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर अजीत सिंह को भी निलंबित कर दिया गया था। राम सिंह की गिरफ्तारी में दोनों निरीक्षकों की भूमिका संदिग्ध पाई गई।

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