दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत होगी या भारतीय जनता पार्टी की ये तो अभी बताना बहुत मुश्किल है, लेकिन दोनों पार्टी अभी बराबर की टक्कर में है। बात करे दिल्ली की सत्ता की तो पिछले चार महीनों में ही दिल्ली की राजनीतक माहौल में बहुत बड़ा बदलाव नजर आया है। नवंबर तक धारणा यह बनी हुई थी कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का दिल्ली में कोई मुकाबला नहीं है। अरविंद केजरीवाल का दावा था कि उनके मुताबिक उनकी सरकार ने पांच साल में जो काम किए हैं, उससे उन्हें तीसरी बार सत्ता में आने से कोई रोक नहीं सकता।

लेकिन, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शुरू हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों और उसके बाद दिल्ली की शाहीन बाग में सीएए के विरोध में मुस्लिम महिलाओं के धरने यहां के सारे चुनावी मुद्दे को ही भटका दिया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में चाहे आम आदमी पार्टी की जीत हो या भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की सत्ता पर करीब 20 साल बाद वापसी करे नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी आंदोलन का फीका पड़ना तय है। अगर नागरिकता संशोधन कानून बनने से पहले दिल्ली में तैयार चुनावी माहौल को याद कीजिए तब दिल्ली पूरी तरह से केजरीवाल के पक्ष में खड़ी नजर आ रही थी। लेकिन अभी दिल्ली का माहौल ही अलग है।

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