चीन ने कोरोना वायरस से जुड़े कई सवालों का खुल कर जवाब नहीं दिया है। शुरुआत में कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि कोरोनावायरस चीन का ही एक जैविक हथियार था। हालाकिं चीन ने इस बात को नहीं स्वीकारा।

अब एक रिपोर्ट में जो दावा किया गया है उसे देख कर लगता है कि चीन ने फिर दुनिया से कोरोनावायरस से जुड़ा एक सच छुपाया है। न्यूयॉर्क में रहने वाली हांगकांग की ब्लॉगर जेनिफर जेंग ने ये खुलासा किया है।

दरअसल उन्होंने चीन की मोबाइल कंपनी चाइना मोबाइल रीकिज ने बताया कि जनवरी और फरवरी महीने में कंपनी के 8.116 मिलियन यानी 81 लाख मोबाइल यूजर्स इनएक्टिव हो गए।

यूनीकॉम कंपनी के जनवरी महीने में 1 मिलियन यानी 10 लाख मोबाइल यूजर इनएक्टिव हो गए। वहीं चीन की चाइना टेलीकम्यूनिकेशन के फरवरी महीने में 5.6 मिलियन यानी 56 लाख यूजर इनएक्टिव हो गए।

इन आंकड़ों को अगर जोड़ दिया जाए तो 1.46 करोड़ यूजर्स गायब हो गए। तो क्या ये यूजर कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण मारे गए हैं? क्या चीन दुनिया से कुछ छुपा रहा है?

चीन ने मात्र अब तक 3270 लोगों के ही मरने का दावा किया है जो बेबुनियाद लगता है।

जब चीन में कोरोना फैला तब भी चीन ने उस बात की जानकारी नहीं दी और दुनिया से छुपाया। चीन में कोरोनावायरस का पहला मामला नवंबर में सामने आया था लेकिन चीन ने दिसंबर में दुनिया को इस बारे में बताया।

टेन्सेन्ट कंपनी के आंकड़ों से भारी संख्या में मौत का शक था

पहले टेनसेंट कंपनी की एक रिपोर्ट लीक हुई थी उसमे चीन में मरने वालों की संख्या 24 हजार 589 बताई गई थी। कहा गया कि ये डेटा जानबूझ कर टेनसेंट कंपनी में काम करने वाले एम्प्लोयी ने लीक किया ताकि दुनिया को चीन के सच का पता चल सके।

सैटेलाइट तस्वीरों से भी हुआ शक

फरवरी के पहले सप्ताह में चीन के वुहान और चोंगक्विंग शहरों की कुछ ऐसी सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं। जहाँ पर लाल दिखाई दे रहा है वहां पर कुछ जलाया जा रहा है। उस दौरान भारी मात्रा में सल्फर डाई ऑक्साईड गैस पैदा हुई जो सामान्य से 21 गुना ज्यादा है और एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतनी सल्फर डाई ऑक्साईड गैस तभी पैदा हो सकती है जब भारी मात्रा में लाशों को जलाया जाए।

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