हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि बुधवार का दिन श्री गणेश को समर्पित है। मान्यता है कि बुधवार के दिन गणपति महाराज की पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश की कृपा से इंसान के संकट दूर हो जाते हैं। बुधवार के दिन गणपति महाराज की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

बुधवार के दिन सुबह-सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। संभव हो तो लाल अथवा पीले रंग का वस्त्र धारण करें। गणपति महाराज की पूजा करते समय वस्त्र, फूल, फल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, अष्टगंध, जनेऊ, सुपारी, साफ जल, चावल, कुमकुम, दीपक, धूपबत्ती, इत्र, दूर्वा, केले, कर्पूर, सिंदूर, पान और मोदक के लड्डू अर्पित करें। श्रीगणेश की पूजा करते समय ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करते रहें। पूजा के अंत में अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें।

गणपति महाराज को भोलेनाथ ने दिया था यह वरदान

हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक एक बार देवगण संकटों घिरे हुए थे, इसलिए वो मदद के लिए भगवान शिव के पास गए। तब महादेव ने कार्तिकेय और श्री गणेश को देवगणों का संकट हरने के लिए कहा। इससे पहले उन्होंने यह शर्त रखी कि वे दोनों अपनी श्रेष्ठता साबित करें। इसके लिए कार्तिकेय और श्री गणेश को पृथ्वी की परिक्रमा करनी थी।

यह बात सुनते ही कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। चूंकि गणेश जी की सवारी मूषक है, ऐसे में वो पृथ्वी की परिक्रमा में जीत नहीं सकते थे। इसलिए उन्होंने एक उपाय सोचा। गणेश जी ने अपने माता-पिता को ही पृथ्वी और ब्रह्मांड मानकर उनकी परिक्रमा करने लगे।

भगवान शिव और पार्वती अपने पुत्र गणेश की बुद्दि कौशल देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने वरदान दिया कि गणेश ही अलौकिक विश्व में बुद्दि के देवता कहलाएंगे। उन्हें देवों का संकट हरने का मौका मिला जिसमें वो सफल हुए। भोलेनाथ ने यह भी आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति चतुर्थी के दिन गणेश की पूजा कर चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उस पर कभी भी कोई संकट नहीं आएगा।

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