सीमावर्ती क्षेत्रों में भाईचारा, अमन और शांति ही चीन के साथ सामान्य संबंधों का बनी हुई है आधार : भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर
पिछले कुछ सालों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के कारण प्रभावित हुए हैं। एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि सीमावर्ती इलाकों में अमन और शांति भारत और चीन के बीच सामान्य संबंधों का आधार बनी हुई है। पिछले दस वर्षों से शी जिनपिंग चीन के सर्वोच्च नेता हैं। पार्टी कांग्रेस में संविधान संशोधन के कारण अब उन्हें पद छोड़ने की जरूरत नहीं है। ऐसे में भारत और चीन के संबंध आगे आने वाले दिनों में कैसे रहेंगे। क्या भारत-चीन सीमा पर खतरा ज्यादा बढ़ गया है
सीमा पर गतिरोध से भारत और चीन को कोई फायदा नहीं
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों को आज अपने संबंधों के बारे में एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की इच्छा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से भारत ओर चीन के बीच गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। चीन के साथ 'अधिक संतुलित' और 'स्थिर संबंध' के लिए भारत की तलाश उसे विविध क्षेत्रों एवं विकल्पों की ओर ले गई। जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष गंभीर चुनौती का समय था और यह संबंधों एवं महाद्वीप की संभावनाओं को लेकर था। सीमा विवाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा गतिरोध के जारी रहने से भारत या चीन को कोई फायदा नहीं होगा। इस पूरे क्षेत्र में नयी तरह की भाव भंगिमा निश्चित तौर पर नयी प्रतिक्रियाओं के रूप में आयेगी।।
भारत ने अपनाया दृढ़ तौर पर द्विपक्षीय दृष्टिकोण
सात दशकों के जुड़ाव को देखते हुए विदेश मंत्री ने दुख जताते हुए कहा कि यह कहना उचित होगा कि भारत ने अनिवार्य रूप से चीन के प्रति एक दृढ़ तौर पर द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि इसके कई कारण हैं, जिनमें एशियाई एकजुटता की भावना और तीसरे पक्ष के हितों का संदेह शामिल है, जो अन्य अनुभवों से निकला है। जयशंकर ने कहा कि देशों के बीच आपसी संबंध तीन बिंदुओं के आधार पर टिकाऊ हो सकते हैं- जिसमें तीन बिंदु हैं- आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित।
दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों का आधार
जयशंकर ने कहा कि 2020 के बाद भारत और चीन के बीच असहमति दूर करने वाली व्यवस्था स्थापित करना आसान नहीं है लेकिन इस कार्य को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। यह विशेष रूप से कोरोना के बीच भी किया गया था। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और धैर्य स्पष्ट रूप से सामान्य संबंधों का आधार बनी हुई है। समय-समय पर इसे सीमा विवाद के प्रश्नों के के समाधान के साथ शरारतपूर्ण तरीके से जोड़ा गया है।