अमेरिका के शिकागो में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मानव कल्याण के लिए हिन्दु समुदाय के एकजुटता की बात कही है। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में प्रतिभाशाली लोगों की कमी नहीं है, लेकिन हिंदूओं का एक साथ आना थोड़ा सा मुश्किल है। उन्होंने कहा ​कि हजारो वर्षों से प्रताड़ित हिंदू समाज को एकजुट होना ही पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काठमांडु में पशुपतिनाथ धाम में बाबा भोला की आराधना करने गए थे।

यहां तक कि दलितों की संवेदना अपने पक्ष में करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर मोदी सरकार ने मानसूत्र सत्र के दौरान नया बिल पास कर एससी-एसटी एक्ट को मूल स्वरूप में बहाल कर दिया। ऐसे में 6 सितंबर को देशभर के सवणों ने मोदी सरकार के विरूद्ध जोरदार प्रदर्शन किया। ऐसे में अब सामान्य वर्ग का वोट भी बीजेपी से दरकता हुआ नजर आ रहा है।

दलितों की हमदर्दी पाने के लिए ही सहारनपुर जातीय हिंसा के आरोपी चंद्रशेखर रावण को योगी सरकार ने रिहा कर दिया। लेकिन जेल से रिहा होते ही चंद्रेशखर और उसके साथियों ने बयान दिया है कि उनकी गिरफ्तारी और रिहाई बीजेपी की एक साजिश है, ऐसे में हम अपने लोगों से यही निवेदन करेंगे कि 2019 में वह भाजपा को उखाड़ फेंके। एससी-एसटी एक्ट मामले में सवर्णोें के विरोध पर भाजपा सहित कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी चुप्पी साधे दिखे।

बीजेपी हर बार कांग्रेस के खिलाफ हिंदू कार्ड खेलने में कामयाब हो जाती थी, लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस भी पूरी तरह से सजग है। बतौर उदाहरण राहुल गांधी ने खुद को शिवभक्त बताते हुए 13 घंटे तक चढ़ाई करते हुए कैलाश मानसरोवर की यात्रा की। इसके बाद कांग्रेस ने बयान दिया कि नफरत की बात करने वालों को पीछे छोड़ते हुए राहुल गांधी ने कैलास यात्रा के दौरान अच्छी गति स्थापित की। बता दें कि राहुल गांधी ने 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा करीब 7 घंटे में पूरी की।

इतना ही नहीं मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने बीजेपी को उसी की रणनीति से मात देने के चक्कर में है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने हर जिले में गौशाला बनवाने का ऐलान किया है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रामपथ बनवाने का वादा किया है। इस प्रकार कांग्रेस भी हिंदूओं के नजदीक जाते हुए दिख रही है, ऐसे में बीजेपी का हिंदू कार्ड फेल होता दिख रहा है।

पश्चिम बंगाल में भाजपा पिछले कई वर्षों से ममता बनर्जी की हिंदू विरोधी छवि पेश करने की पूरी कोशिश की है। लेकिन इस बार तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा के दौरान 28 हजार पूजा समितियों को 10-10 हजार रुपए देने का फैसला ले लिया है।

ठीक इसके विपरीत सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी खुद को पीछे कैसे रखते? उन्होंने तीर्थदर्शन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत वह पवित्र लुबिनी व देवघाट के बीच स्थित शास्वतधाम जाकर हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबियों को अपनी खींचने का काम किया है।

Related News