विधानसभा चुनाव : बसपा ने दिया कांग्रेस को करारा झटका, तीन राज्यों में कमल खिलने की आस जगी
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दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपने प्रतिद्वंदी भाजपा को हराने के जो सपने देख रही थी, उन अरमानों पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने पानी फेर दिया है। जी हां, बता दें कि मायावती ने ऐलान कर दिया है कि बसपा मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के साथ कत्तई गठबंधन नहीं करेगी। जबकि छत्तीसगढ़ में बसपा मुखिया मायावती पहले ही अजीत जागी से गठबंधन कर चुकी हैं।
मायावती के इस ऐलान से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को दोबारा सत्ता में लौटने की उम्मीद नजर आने लगी है। इस बात की आपको जानकारी होनी चाहिए कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। देखा जाए तो इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के नेता बसपा से गठबंधन करने की कोशिश में लगे हुए थे। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बीजेपी पिछले 15 साल से सत्तासीन है, जबकि राजस्थान में भी वर्तमान में भाजपा सरकार है। लेकिन मायावती ने बुधवार को कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने की घोषणा कर कांग्रेस के सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया।
मध्य प्रदेश में भाजपा की उम्मीद जगी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बसपा गठबंधन नहीं होने से शिवराज चौहान की उम्मीदें एक बार फिर से जग उठी हैं। मध्य प्रदेश में यूपी से सटे इलाकों में बसपा का खासा जनाधार है। चंबल, बुंदेलखंड और बघेलखंड के क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी की अच्छी पकड़ है। ऐसे में बसपा की ओर से कांग्रेस का साथ नहीं देने का ऐलान करना शिवराज के लिए अच्छे संकेत माने जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में 75 से 80 सीटों पर बसपा प्रत्याशियों ने 10 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। वहीं 17 सीटें ऐसी थीं जहां बसपा उम्मीदवारों ने 35 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। ऐसे में यदि बसपा और कांग्रेस पार्टी साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो शिवराज का समीकरण बिगड़ सकता था।
राजस्थान में बसपा ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
विधानसभा चुनाव 2013 में बीजेपी ने 45.2 फीसदी वोट हासिल किया था। जबकि कांग्रेस 33.1 फीसदी और बसपा को 3.4 फीसदी वोट मिले थे। कम से कम तीन सीटों पर विजयश्री हासिल करते हुए बसपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। वहीं साल 2008 में बसपा ने 6 सीटें जीतने के साथ 7.6 फीसदी वोट हासिल किए थे।
ऐसे में कांग्रेस चाहती थी कि बसपा को मिलने वाला 3 से 4 फीसदी वोट उसे मिल जाए, जिससे बीजेपी को सत्ता में आने से रोका जाए। लेकिन बसपा सुप्रीमों ने कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच बाधा बनी बसपा
छत्तीसगढ़ में बीजेपी तीन बार से सत्तासीन है। भाजपा इस बार भी रमन सिंह की अगुवाई में ही विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच महज एक फीसदी का अंतर रहा। वहीं इस राज्य में बसपा को 4.5 फीसदी वोट मिले थे।
यदि बसपा और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनावी जंग लड़ते तो छत्तीसगढ़ में कुछ दूसरी तस्वीर होती। कांग्रेस से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले अजीत जोगी से गठबंधन कर बसपा ने सभी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। ऐसे में यह कहना लाजिमी होगा कि इन तीन राज्यों में बसपा-कांग्रेस अलगाव से जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सहित विपक्षी एकता को तगड़ा झटका लगा है, वहीं भाजपा दोबारा सत्ता में लौटने के मंसूबे पालने लगी है।