भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ा है यह प्रसंग, जब कोई अपमानित करें तो क्या करना चाहिए?
रामायण में भगवान श्रीराम के व्यक्तित्व से से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें सीख सकते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने हम सभी को सीखाया है कि नियम और संयम के साथ किस प्रकार से जीवन व्यतीत करना चाहिए। लंका कांड के मेघनाद और श्रीराम युद्ध प्रसंग में भी बताया है कि अगर कोई इंसान आपकी आलोचना करें या गाली दे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
रामायण में स्पष्ट वर्णन है कि लंका में युद्ध के दौरान रावण का बेटा मेघनाद लड़ते-लड़ते जब श्रीराम के पास पहुंचा तो उन्हें देखकर दुर्वचन कहने लगा। इस दृश्य पर तुलसीदासजी ने लिखा- रघुपति निकट गयउ घननादा। नाना भांति करेसि दुर्बादा।।
अर्थात मेघनाद ने श्रीराम के पास जाकर अलग-अलग प्रकार से दुर्वचनों का प्रयोग किया। लेकिन श्रीराम ने मेघनाद के कटुवचन धैर्य से सुने और मुस्कुरा दिए, जिससे मेघनाद और ज्यादा क्रोधित हुआ।
इस घटना पर तुलसीदास जी ने लिखा है- देखि प्रताप मूढ़ खिसिआना। करै लाग माया बिधि नाना।। इसका तात्पर्य है कि श्रीराम का प्रताप देख मूर्ख मेघनाद लज्जित होकर भांति-भांति से माया करने लगा। मेघनाद ने श्रीराम को उकसाने की कोशिश की लेकिन श्रीराम ने अपने धैर्य और बुद्धि के उपयोग से निष्फल कर दिया। इस प्रसंग से हमें सीख मिलती है कि यदि कोई अप्रिय शब्द बोल रहा हो तो उन्हें स्वीकार न करें। ऐसा करने से आप गुस्से में कोई गलती नहीं करेंगे, जिससे नुकसान से बच जाएंगे।