मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुजरात चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक हैं। गुजरात कांग्रेस के प्रभारी डा रघु शर्मा भी राजस्थान से ही हैं। ऐसे में राजस्थान में खींचतान का नुकसान कांग्रेस को गुजरात विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। राजस्थान की सियासत में जो उथल-पुथल मची है, वो गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुसीबत का कारण बन सकती है। भाजपा व आम आदमी पार्टी के बीच फंसी कांग्रेस गुजरात के रण में पिछड़ सकती है। मुख्यमंत्री पद को लेकर राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर आंतरिक खींचतान चरम पर है।

गुजरात में कांग्रेस की नैया पार लगाना मुश्किल
सचिन को राजस्थान से बाहर भेजने को लेकर क्या फैसला होगा, यह भविष्य के गर्भ में है। इतना तय है कि गहलोत व उनके सिपहसालार रघु शर्मा, धर्मेंद्र सिंह राठौड़, लाल चंद कटारिया आदि नेता इसी उधेड़बुन में उलझे रहे तो गुजरात में कांग्रेस की नैया पार लगाना मुश्किल होगा।

गहलोत के लिए सिरदर्द बने रहेंगे पायलट
गुजरात में इसी साल के अंत में चुनाव होने हैं। गहलोत के अलावा उनके सिपहसालार भी राजस्थान की उधेड़बुन में उलझ गए हैं। राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट सीएम बनें या नहीं, अशोक गहलोत के लिए सिरदर्द तो रहेंगे ही। गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की बात तय होते ही उनके खेमे की ओर से अटकलबाजी शुरू कर दी गई थी कि सचिन पायलट को असम और बंगाल का प्रभारी बनाकर भेजा जाएगा। पायलट खेमे से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

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