दोस्तों, आपको बता दें कि 14 जुलाई को जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी मुख्यालय में छत्तीसगढ़ के सियासी हालात पर चर्चा कर रहे थे तब छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को भाजपा की बी टीम करार दिया था।

इस बैठक के ठीक 7 दिन बाद यानि 22 जुलाई को अजीत जोगी ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर मैं बीजेपी की बी टीम होता तो सीएम रमन सिंह के चुनावी क्षेत्र राजनंदगांव से नहीं लड़ता। मैं हत्या के निराधार केस का सामना नहीं कर रहा होता तथा मेरे बेटे पर हत्या की साजिश रचने का आरोप नहीं होता।

उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अब प्रासंगिक नहीं रही, इसके अलावा लोकसभा चुनाव-2019 में बीजेपी को हराने के लिए एक महागठबंधन की जरूरत है। इस बात से साबित होता है कि अजीत जोगी ने कांग्रेस को तगड़ी वाली करारी शिकस्त देने का सपना देख रखा था। जिस बसपा के सहारे राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में बीजेपी को करारी शिकस्त देने वाले थे, उसी बसपा से अब अजीत जोगी ने गठबंधन कर लिया है। ऐसे में अजीत जोगी के इस दांव से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।

दोस्तों, आपको बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी से महज़ .75 फीसदी कम वोट मिले थे, लेकिन अब अजीत जोगी और बसपा दोनों ही दलित वोटों के साथ कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं और बीजेपी का अपर हैंड बना रह सकता है।

बीजेपी की मजबूत स्थिति

2008 के मुकाबले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव-2013 में बीजेपी का वोट .7 फीसदी बढ़ा था, वहीं कांग्रेस को भी 1.7 फीसदी की बढ़त मिली थी। अब अजीत जोगी और बसपा के अभाव में कांग्रेस के सामने भाजपा नरेंद्र मोदी को फ्रंट पर रखकर चुनाव में उतरेगी। छवियों के खेल में कौन ज्यादा माहिर है, इसे हम सभी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान आसानी से देख चुके हैं।

Related News