आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए देश की राजधानी दिल्ली में 12 मई को मतदान होने हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर कांग्रेस की प्रत्याशी शीला दीक्षित के प्रचार शुरू करते ही रविवार को 12 नेताओं ने अपना इस्तीफा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भेज दिया। इसमें कहा गया है कि भीष्म शर्मा ने पार्टी विरोधी कोई काम नहीं किया है। इसके अलावा कार्रवाई से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी नहीं किया गया। मतलब साफ है, इन सभी नेताओं ने केवल पदों से इस्तीफा दिया है और पार्टी में बने रहेंगे।

बता दें कि पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने पूर्व जिलाध्यक्ष और चार बार के विधायक भीष्म शर्मा को पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया था। अब इसका विरोध शुरू हो चुका है। इस्तीफा देने वालों में पूर्व विधायक भीष्म शर्मा सहित जिले और ब्लॉक के पदाधिकारी हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई अन्य नेता भी पार्टी को अपना इस्तीफा भेज देंगे।

बताया जा रहा है भीष्म शर्मा ने सोमवार को कार्यकर्ताओं की एक बैठक भी बुलाई है। इसके अलावा भीष्म शर्मा समर्थित कुछ संगठन शीला दीक्षित के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हैं। बता दें कि शीला दीक्षित और भीष्म शर्मा के बीच करीब 15 साल पुरानी अदावत है। यह अलग बात है कि शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते भी भीष्म शर्मा को विधानसभा चुनाव का लगातार टिकट मिला।

साल 1993 से लेकर अब तक भीष्म शर्मा करीब 7 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, इनमें चार बार वो चुनाव जीत चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में भीष्म शर्मा उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे थे।

भीष्म की जिले में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसलिए नामांकन दाखिल करने के दो दिन बाद ही शीला दीक्षित के निर्देश पर कार्यालय सचिव के हस्ताक्षर से उनके उनके निलंबन का आदेश जारी कर दिया गया। बताया जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी पीसी चाको शीला दीक्षित के इस फैसले को असंवैधानिक करार दे चुके हैं।

भीष्म शर्मा का कहना है कि मैं मनोज तिवारी से कई बार मिला। वह यहां के सांसद हैं। उनसे शिष्टाचार के नाते भी मुलाकात की जा सकती है, और क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी। उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन के 41 साल कांग्रेस को दिए हैं, किसी भाजपा नेता से मिलना पार्टी विरोधी गतिविधि कैसे हो सकता है।

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