आपको जानकारी के लिए बता दें कि महाभारत युद्ध के पश्चात पांडवों को हस्तिनापुर का राज्य मिला। यह सभी जानते हैं कि महाभारत युद्ध के दौरान हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र के सभी पुत्र मारे गए थे, सिवाय युयुत्सु के। युद्ध के बाद युधिष्ठिर का राज्याभिषेक किया गया। महाभारत के शांति पर्व के मुताबिक, युधिष्ठिर के बाद भीम को हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी भी घोषित किया गया। सहदेव को युधिष्ठिर ने अपने साथ रखा।

राज्याभिषेक होने के बाद युधिष्ठिर ने भीम को युवराज के पद पर नियुक्त किया। विदुरजी को राजकाल संबंधी सलाह देने का, निश्चय करने तथा संधि, विग्रह आदि छ: बातों का निर्णय लेने का अधिकार दिया गया।

सेना की गणना, उसे भोजन और वेतन देने का काम नकुल को दिया गया। हस्तिनापुर की रक्षा, दुष्टों को दंड देने का काम तथा जरूरत पड़ने पर शत्रु के देश पर चढ़ाई करने की जिम्मेदारी अर्जुन को दी गई। यज्ञ, पुरोहिती तथा ब्राह्मण धर्म जैसे दूसरे कामों के लिए महर्षि धौम्य नियुक्त हुए।

अब आप सोच रहे होंगे कि कौरवों के मारे जाने के बाद हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र का क्या हुआ? जी हां, जानकारी के लिए बता दें कि हस्तिनापुर के राजा युधिष्ठिर ने संजय, विदुर और युयुत्सु को आदेश दिया कि आप सभी लोगों को हमेशा धृतराष्ट्र की सेवा में रहना है और उन्हीं की आज्ञा का पालन करना है। इस प्रकार महाभारत युद्ध के पश्चात युधिष्ठिर ने अपने भाईयों सहित अन्य योग्य लोगों को उनके सामर्थ्य के अनुसार अलग-अलग काम सौंप दिए।

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