यह घटना 11 फरवरी 1994 की है, जब भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने हरकत-उल-अंसार नाम के आतंकी संगठन के एक शख्स को जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार किया था। उस शख्स का नाम था मौलाना मसूद अजहर। उस वक्त मौलाना मसूद अजहर सहित 40 लोगों को कश्मीर की कोट भलवाल की हाई सिक्योरिटी जेल के ब्लॉक नंबर 13 में कैद किया गया था।

ये सभी कैदी भारत के बाहर के थे और देश में आतंक फैलाना चाहते थे। जेल में 20 महीने तक कैद रहने के बाद मसूद अजहर ने जेल से एक पत्र लिखा था। जिसमें उसने लिखा था कि जब अल्लाह चाहेगा, मैं भारत की जेल से आजाद हो जाऊंगा।

शायद सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का अहसास नहीं था कि उन्होंने जिस आदमी को गिरफ्तार किया है, वो मामूली आतंकी नहीं बल्कि दुनिया के खूंखार आतंकियों में से एक है। बता दें कि मसूद अजहर भारत की कैद से आजाद हो गया और आज भी आजाद है, लेकिन अल्लाह की मर्जी से नहीं आतंकवादियों की काली करतूतों से।

बता दें कि मसूद अजहर जिन दिनों कश्मीर की कोट भलवाल की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद था, सुरक्षा एजेंसियों की नजर में वो सिर्फ एक मौलाना और कराची में बने हरकत-उल-जेहाद-इस्लामी का रिसर्च स्कॉलर था। बाद में पता चला कि इस खूंखार आतंकी को रिहा करवाने के लिए आतंकियों ने जमीन-आसमान एक कर दिए।

जी हां, 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयर लाइंस का विमान आईसी 814 का आतंकियों ने अपहरण कर लिया। इस घटना के बाद तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने खुलासा किया कि विमान में सवार यात्रियों के बदले आतंकी मौलाना मसूद अज़हर की रिहाई चाहते हैं। विमान अपहरण के बाद जब सुरक्षा एजेंसियों ने मौलाना मसूद अजहर की कुंडली खंगालनी शुरू की तो पता चला कि मसूद अजहर कोई मामूली मौलाना नहीं है, बल्कि इस्लाम के नाम पर लड़ाके तैयार करता है। खैर जो भी हो विमान में मौजूद यात्रियों की सुरक्षा के बदले भारत सरकार ने मसूद अजहर को रिहा कर दिया।

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