महात्मा गांधी जब पहली बार कश्मीर पहुंचे, लाहौर और बारामूला में हुई थी यह बड़ी घटना
यह घटना उन दिनों की है जब वायसरॉय हाउस में लॉर्ड माउंटबेटन की लंच पार्टी के दौरान 22 देसी रियासतों ने भारत संघ में विलय के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। इसी बीच आजादी की लड़ाई में फ़्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर बादशाह खान ने नई दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं के सामने कहा कि भारत और पाकिस्तान को तो आजादी मिल रही है, जबकि फ़्रंटियर इलाके के लोगों को नहीं। फ़्रंटियर इलाके के लोगों को ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान को उन पर थोपा जा रहा है।
उधर महात्मा गांधी पहली बार कश्मीरे दौरे पर पहुंचे थे। गांधी जी रावलपिंडी के रास्ते श्रीनगर कार से पहुंचे थे। वहां लोगों ने उनका खूब स्वागत किया। श्रीनगर की जनता ने गांधी जी की जय और शेख़ अब्दुल्ला की जय के नारे लगाए। गांधी की कार पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का झंडा लहरा रहा था।
लेकिन उस वक्त महात्मा गांधी के साथ अजीब घटना घटी। 31 जुलाई को लाहौर में फ़्रंटियर मेल को धमाके से उड़ाने की कोशिश नाकाम रही। उस वक्त ट्रेन में महात्मा गांधी दलबदल सवार थे।
कश्मीर यात्रा के लिए रावलपिंडी के रास्ते होते हुए 1 अगस्त, 1947 को गांधी जी ने बारामूला पहुंचे। वहां महात्मा गांधी को विशाल प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। इस विरोध प्रदर्शन में लोगों ने काले झंडे के साथ पाकिस्तान के समर्थन में गांधी विरोधी नारे लगाए। गांधी जी ने अपने ड्राइवर से कार को धीमा करने के लिए कहा और भीड़ से पूछा कि वे क्या चाहते हैं? भीड़ में से एक प्रदर्शनकारी ने गांधी जी से कहा कि हम पाकिस्तान चाहते हैं। गांधी जी ने जवाब दिया- पाकिस्तान तो बन चुका है। तब दूसरे प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम यहां पाकिस्तान चाहते हैं।