इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू हो रहा है। बता दें कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री के पूजन के साथ नवरात्रि संपन्न होता है। इस बार महानवमी 8 अप्रैल, दिन मंगलवार को है। नवमी के दिन मां दुर्गा के 9वें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन भक्तगण पूरे विधि-विधान के साथ मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू धर्म के मुताबिक, नवरात्रि का समापन करने से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अष्टमी और नवमी तिथि के दिन तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष तक की कन्याओं के पूजन की परंपरा है। आचार्य मनोज कुमार द्विवेदी का कहना है कि कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा पृथ्वी लोक पर आती हैं और सबसे पहले कन्याओं में विराजित होती हैं। इसलिए कन्याओं का आदर और सम्मान करना नवरात्रि में मां दुर्गा की सच्ची उपासना होगी। मान्यता है कि नवरात्र में कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

अष्टमी और नवमी के दिन 9 कन्याओं को विधिवत तरीके से भोजन कराया जाता है और उन्हें दक्षिणा देकर आशीर्वाद मांगा जाता है। मान्यता है कि कन्या पूजन करने से दु:ख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।

बता दें कि नवरात्रि में मां दुर्गा के चरणों में शरणागत होकर नियमपूर्वक उपासना करनी चाहिए। देवी पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान शंकर ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था।

Related News