लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी घोषणा पत्र में यह वादा किया है कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो न्यूनतम आय योजना के तहत देश के 20 फीसदी गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपए नकद राशि दी जाएगी। इस घोषणा के बाद से ही लोगों के मन में यह सवाल उठने लगे हैं कि देश के वित्तीय हालात को देखते हुए ऐसा करना संभव है! इसके लिए खर्च होने वाले लाखों करोड़ रुपए कहां से आएंगे?

इसी क्रम में लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के घोषणा पत्र में गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने की घोषणा पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को नोटिस जारी कर दिया है। हाईकोर्ट ने पार्टी से पूछा है कि इस तरह की घोषणा मतदाताओं को रिश्वत देने की श्रेणी में क्यों नहीं आएगी। क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए।

इस मामले में हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से भी जवाब मांगा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को दो सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रखना है। याची अधिवक्ता मोहित कुमार के मुताबिक, इस तरह के घोषणा पत्र से मतदाताओं में रिश्वतखोरी को बढ़ावा मिलता है। ये सब मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की पीठ कर रही है।

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