आज के इस दौर में पति-पत्नी के रिश्ते बहुत तनाव पूर्ण होते जा रहे हैं। इस बात को सभी जानते हैं कि रिश्तों में तनाव की असली वजह अहंकार है। रामायण के मुताबिक, देवी के सीता के पिता महाराज जनक ने एक शर्त रखी थी कि जो भी राजा अथवा राजकुमार शिव धनुष उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी के साथ सीता का विवाह किया जाएगा। सीता स्वयंवर के समय कई राजाओं और वीरों ने यह प्रयास किया लेकिन शिव धनुष किसी से हिला तक नहीं।

इसके बाद महर्षि विश्वामित्र से आज्ञा लेकर श्रीराम ने भगवान शिव का ध्यान किया और देखते ही देखते उस धनुष को खिलौने की तरह तोड़ दिया। अगर इस प्रसंग के दार्शनिक स्वरूप को समझें तो धनुष अहंकार का प्रतीक है। अहंकार जब तक हमारे भीतर हो, हम किसी के साथ अपना जीवन नहीं बिता सकते है। यदि अहंकार को समाप्त कर गृहस्थी में प्रवेश किया जाए, तो वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है।

हिंदू धर्म में विवाह एक दिव्य परंपरा है, गृहस्थी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, लेकिन हममें से अधिकांश लोग इसे सिर्फ एक रस्म के तौर पर देखते हैं। गृहस्थी बसाने के लिए सबसे पहले भावनात्मक और मानसिक स्तर पर मजबूत होना जरूरी होता है।

इसलिए गृहस्थ जीवन को कभी भी आवेश या फिर अज्ञानता में नहीं स्वीकारें, वरना इसकी मधुरता समाप्त हो जाएगी। आवेश में आकर गृहस्थी में प्रवेश करेंगे तो ऊर्जा के दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाएगी। यदि अज्ञान में आकर घर बसाएंगे, तब हमारे निर्णय परिपक्व व प्रेमपूर्ण नहीं रहेंगे।

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