महाभारत के उद्योग पर्व में इस बात का उल्लेख मिलता है कि अर्जुन में कुछ ऐसे विशेष गुण थे, जिसके कारण श्रीकृष्ण ने उन्हें महाभारत युद्ध के लिए चुना। इन विशेष गुणों के कारण ही युद्ध में अर्जुन को हमेशा जीत मिली। अर्जुन के स्वभाव से जुड़ी ये बातें सीखकर दुनिया का कोई भी व्यक्ति अच्छा लीडर बन सकता है।

महाभारत के उद्योग पर्व का श्लोक

बलं वीर्यं च तेचश्र्च शीघ्रता लघुहस्तता।

अविषादश्र्च धैर्यं च पार्थान्नान्यत्र विद्यते।।

1- हाथों की स्फूर्ति

अर्जुन स्फूर्ति से बाण चलाते थे, उतनी स्फूर्ति और किसी के हाथों में नहीं थी। अर्जुन का यही गुण उन्हें सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी बनाता था। ठीक इसी तरह किसी भी काम को बिना समय गंवाए सही मौके पर पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। इससे सफलता प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है।

2- बल

महाभारत के उद्योग पर्व के अनुसार अर्जुन में शारीरिक बल के साथ-साथ मानसिक शक्ति भी बहुत ज्यादा थी। यही वजह रही कि वे चतुर नीतियां बना कर, दुश्मनों को जीत लेते थे। ठीक उसी तरह हमें भी बुद्धि और योजना बनाकर कोई भी काम करना चाहिए। ऐसा करने से सफलता सुनिश्चित हो जाती है।

3- हर काम शीघ्रता से करना

कहा जाता है कि हर काम करने का एक सही समय होता है। यदि हम किसी बात का निर्णय लेने में देर कर देते हैं तब उसका कोई मतलब नहीं बचता है। अर्जुन किसी भी काम को करने में इतनी देर नहीं लगाते थे, कि इसका महत्व ही खत्म हो जाए। इसी तरह हमें भी समय का महत्व समझकर कोई भी मौका गंवाए बिना काम करते रहना चाहिए।

4- विषादहीनता

श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश में अर्जुन को मोह-माया छोड़कर अपने कर्म को महत्व देने की शिक्षा दी थी। इसी वजह से युद्ध में चाहे अर्जुन को किसी भी परिस्थिति का सामना करना पड़ा हो, उनका मन एक पल के लिए भी विचलित नहीं हुआ। इसी तरह हमें भी सुख, दुख और आलस्य त्यागकर अपना काम करना चाहिए।

5- धैर्य

अर्जुन बुद्धिमान, ताकतवर होने के साथ-साथ धैर्यवान भी थे। अर्जुन की तरह जिस इंसान में धैर्य हो वह जल्दबाजी में कोई गलती नहीं करता। धैर्य से काम लेने पर बुद्धि कभी भ्रमित नहीं होती और सफलता जरूर मिलती है।

6- पराक्रम

महाभारत में केवल अर्जुन ही ऐसे थे, जो किसी भी चुनौती का सामना करने से नहीं डरते थे। इसी प्रकार हमें भी हर काम को निपटाने के लिए पराक्रमी होना चाहिए।

7- तेज

अर्जुन का व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था। नियम और संयम से रहने के कारण अर्जुन का तेज बहुत ही प्रभावशाली था। ठीक इसी तरह हमें भी नियम और संयम से रहना चाहिए जिससे हमारा तेज बढ़े और व्यक्तित्व भी प्रभावशाली बने।

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