Rajiv Gandhi Assassination: जेल में 30 साल बाद अब किस हाल में है राजीव गांधी के सातों हत्यारे
देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 30वीं पुण्यतिथि है। राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने पिता की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
राजीव गांधी की हत्या 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में मानव बम धनु ने विस्फोट कर के की। तब 18 लोगों की जान गई। इस बम धमाके में राजिव गांधी के परखच्चे हो गए थे। राजीव की हत्या के लिए पूरी साजिश रची गई थी, जिसमें लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण और कई लोगों का हाथ था। इस केस में 7 लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था जो आज भी 30 सालों से जेल में बंद है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्तालिन ने इन सभी हत्यारों को अब 30 साल की सजा जेल में काटने के बाद रिहाई की मांग की है। राजीव गांधी के हत्यारों को गांधी परिवार ने भी अब माफ़ कर दिया है।
जानते हैं कि राजीव के कौन से हत्यारे जेलों में बंद हैं और अब किस हाल में हैं।
मुरुगन
मुरुगन, श्रीलंका के जाफना का था और बम बनाने में एक्सपर्ट था। ये लिट्टे का प्रमुख था। मुरुगन की शादी नलिनी श्रीहरन से हुई थी। उसकी पत्नी भी इस हत्या में शामिल थी। पति-पत्नी को 1999 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। सजा काटते समय उसने एक बच्ची को जन्म दिया। इसलिए उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
एजी पेरारिवलन
1971 में जन्म एजी पेरारिवलन तमिलानाडु के वेल्लोर जिले में पैदा हुए थे। 18 फरवरी, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। 2013 में एजी पेरारिवलन तमिलनाडु राज्य के एक एग्जाम में वो गोल्ड मेडलिस्ट रहचूका है।
संथन
संथन, 12 सितंबर, 1990 को इस बम धमाके में शामिल था। वह मानव बम धनु का दोस्त था। इस हत्या में उसका हाथ नहीं था लेकिन संथन के ऊपर हत्यारों की मदद करने का आरोप लगा था।
एस नलिनी
नलिनी ने इस बात को स्वीकार किया था कि वह लिट्टे के एक एक्टिविस्ट के संपर्क में आई और बाद में वह इस संगठन की एक्टिव कैडर बन गई। गिरफ्तार होने के बाद उसने एक बेटी को जन्म दिया। लेकिन अगर उसको और उसके पति को फांसी हो जाती तो उसकी बच्ची अनाथ हो जाती। सोनिया गांधी ने खुद इस सजा को माफ़ करने की अपील राष्ट्रपति से की। साल 2000 में राष्ट्रपति ने नलिनी की दया याचिका को मंजूरी देते हुए नलिनी को माफ कर दिया।
पी. रविचंद्रन
पी. रविचंद्रनलिट्टे का एक एक्टिव सदस्य था। यह श्रीलंका से हथियारों की ट्रेनिंग लेकर आया था। पोट्टु अम्मान ने इसे शिवरासन से मिलवाया था। शिवरासन ही हमला करने वाले दल का प्रमुख नेता था लेकिन बाद में उसने आत्महत्या कर ली थी।
जयकुमारन
जयकुमारन भी हत्यारों की मदद करने में शामिल था।उसने इस बम धमाके में शामिल लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया था।
पयास
पयास और जयकुमारन बचे हुए आतंकियों के रहने और खाने की व्यवस्था करते थे ट्रायल के दौरान इसे मौत की सजा हुई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बाद में खारिज कर दिया था।