आपको जानकारी के लिए बता दें कि शिरडी के साईं बाबा केवल पांच घरों से ही भिक्षा मांगकर लाते थे। साईं बाबा प्राय: सखाराम पाटील शैलके, बायजाबाई कोते पाटील, नंदराम मारवाड़ी, वामनराव गोंदकर, बय्याजी अप्‍पा कोते पाटील के घर से भिक्षा मांगकर लाते थे।

आपको जानकर यह हैरानी होगी कि शिरडी के साईं बाबा जिन 5 घरों से भिक्षा मांगकर लाते थे, उस भिक्षा को वह एक पात्र में कुत्ते और पक्षियों के लिए डाल देते थे। साईं बाबा केवल इसी के लिए भिक्षा मांगने जाते थे। जबकि बायजा माई शिरडी के साईं बाबा के लिए खुद खाना बनाकर लाती थी, जिसे वे खाते थे।

साईं बाबा जिस पात्र में भिक्षा लेते थे, उसे कोलंबा कहते हैं। आज भी समाधि मंदिर के पुजारी दिन में दो बार साईं बाबा को भोग लगाने के बाद कोलंबा में डालते हैं। इस कोलंबा को द्वारकामाई में धुनि के पास देखा जा सकता है।

शिरडी में आज भी वह पत्थर मौजूद है, जिस पर साईं बाबा बैठते थे। द्वारकामाई में यह पत्थर आज भी रखा है। इस पत्थर पर साईं बाबा हर रोज बैठा करते थे। पहले पत्थर लेंडी बाग में था, गांववाले इस पत्थर का उपयोग कपड़ा धोने के लिए किया करते थे। जब लोगों ने देखा कि साईं बाबा इस पत्थर पर प्रतिदिन बैठते हैं तो बाद में इस पत्‍थर को उठाकर गांववालों ने इसे द्वारकामाई में रख दिया। साईं बाबा ने सबसे पहले यह कहा था- जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा।

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