हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो जला कर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके बाद बाकी के सभी क्रियाकर्म किए जाते हैं। अंतिम संस्कार करने के कुछ नियम होते हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

कपाल क्रिया

अंतिम संस्कार के दौरान जब शरीर को अग्नि दी जाती है तो उस से पहले शव को श्मशान तक ले जाया गया होता है उसी शैय्या का एक बांस निकालकर उससे शव के सिर पर चोट किया जाता है जिसे कपाल क्रिया कहा जाता है। इस से व्यक्ति सांसरिक मोह माया से दूर हो जाता है।

यह क्रिया भी जरूरी

अंतिम संस्कार होने के बाद अंत में परिवार के लोग श्मशान से वापस घर लौटे समय 5 लकड़ी के टुकड़े 3 दाएं हाथ में और 2 बाएं हाथ में रखते हैं और शव दाह से उलटी दिशा में खड़े होकर सिर से ऊपर से लकड़ियों को पीछे की ओर फेंकते हैं और वापस घर लौट चलते हैं। इस के माध्यम से घर वाले उसे ये कहते हैं कि तुम पंच तत्व में विलीन हो चुके हो तो सारी मोह माया को त्याग दो।

नहीं देखना चाहिए मुड़ कर
ऐसी मान्यता है कि शरीर छूट जाने पर भी जीवात्मा का अपने परिवार के लोगों के प्रति मोह कम नहीं होता है और वह श्मशान में आए अपने परिजनों को देखकर दुखी और हर्षित होता रहता है। इसलिए उसे ऐसा अहसास दिलाया जाता है कि हम तुम्हारा मोह छोड़ चुके हैं तो तुम भी इस सांसरिक जीवन से मोह त्याग दो और अपने सफर पर आगे जाओ। कहते हैं कि पीछे मुड़कर देखने से आत्मा का मोह बना रहता है और वह परिजनों के पीछे हो लेता है।

अंत‍िम संस्‍कार से लौटकर छूते हैं इन 5 चीजों को

अंतिम संस्कार में जिस रास्ते से शव ले जाया जाता है उसी से वापस लौटना होता है। इसके अलावा जो लोग श्माशान गए होते हैं उन्हें वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए। घर में प्रवेश से पहले अग्नि, जल, लोहा, पत्थर का स्पर्श करना होता है।

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