करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और फिर रात के समय चंद्रमा को देखकर अपना व्रत खोलती हैं। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस दौरान उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था। ऐसा माना जाता है कि आज भी उनका वह सिर चंद्रलोक में मौजूद है।

प्रथम पूज्य गणपति जी की पूजा हमेशा सबसे पहले की जाती है, इसलिए उनका सिर चंद्रलोक में होने के कारण चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा के बाद चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा होती है। मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था।

ऐसे में मां पार्वती की पूजा कर महिलाएं अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगने के लिए व्रत रखती हैं। इसके अलावा चांद को देखकर व्रत खोलने के पीछे एक वजह यह भी है कि चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप हैं। इनकी पूजा और उपासना से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। चंद्रमा के पास रूप, शीतलता और प्रेम और प्रसिद्धि है, उन्हें लंबी आयु का वरदान मिला है। ऐसे में महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर यह सभी गुण अपने पति में समाहित करने की प्रार्थना करती हैं।

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