बीयर एक ऐसा पेय है जिसका अभी से नहीं बल्कि कई हजार सालों से सेवन किया जाता रहा हैं। बीयर बनाने में लगने वाली चीजों, उसे बनाने की प्रक्रिया में अब तक कई प्रयोग हुए। लेकिन एक चीज आज तक नहीं बदली है वो है इसकी बोतल का रंग। बीयर की बोतलें शुरू से हरे या भूरे रंग की ही होती है। तो आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे की वजह क्‍या है? इसी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

इतिहास के पन्‍नों में दर्ज जानकारी के मुताबिक बीयर का इस्‍तेमाल हजारों साल से हो रहा है। वहीं दुनिया की पहली बीयर कंपनीप्राचीन मिस्र में खुली थी। तब जिन बोतलों में बीयर बेची जाती थी वो ट्रांसपेरेंट होती थी। लेकिन सूर्य की किरणें पारदर्शी बोतलों के पार बीयर को खराब कर देती थी। इस से बीयर में बदबू आने लगती थी। तब इस समस्‍या से निजात पाने के लिए एक उपाय आजमाया गया।

बीयर को खराब होने से बचाने के लिए बीयर को ऐसी बोतल में भरने का फैसला किया, जिस पर सूर्य की अल्‍ट्रा वॉयलेट किरणों का असर ना हो। इसलिए बीयर को हरे ये भूरे रंग की बोतलों में भरा जाने लगा।

इसके कई साल बाद बीयर की बोतलों को हरे रंग की बोतलों में पैक कर के बेचा जाने लगा। ऐसा इसलिए क्योकिं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भूरे रंग की बोतलें नहीं मिल रहीं थीं। तब हरे रंग की बोतलों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में किया जाने लगा। इन पर सूर्य की किरणों का इस्तेमाल नहीं होता है।

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