रामायण में सबसे अहम किरदार राम के साथ रावण का भी उल्लेख मिलता है। उन्हें सबसे विद्वान कहा जाता था। रामायण के अलावा महाभारत, पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण जैसे कई ऐसे ग्रंथ हैं जिनमे रावण के बारे में जानकारी मिलती है।

आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि रावण के माता पिता कौन थे?

पुलस्त्य ऋषि के पुत्र विश्वा थे। विविश्वा की पहली पत्नी देवांगना थी जिसका पुत्र कुबेर था। विश्रवा की दूसरी पत्नी दैत्यराज सुमाली की पुत्री कैकसी थी जिसकी संतानें रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और सूर्पणखा थीं। दूषण, खर,अहिरावण, कुम्भिनी और कुबेर रावण के सगे भाई बहन नहीं थे।

इस बारे में आपको जानकारी नहीं होगी कि हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकशिपु दूसरे जन्म में रावण और कुंभकर्ण के रूप में पैदा हुए। कैकसी जब गर्भवती हुई थी तो वो समय शुभ नहीं थी। उसी वजह से उनके गर्भ से रावण तथा कुंभकर्ण जैसे क्रूर स्वभाव वाले भयंकर राक्षस उत्पन्न हुए।

कैकसी ने अपने पति से वरदान मांगा था कि उनके पुत्र ऐसे होने चाहिए जो देवताओं से भी ज्‍यादा शक्‍तिशाली हो और उन्‍हें हरा सके। इसके बाद उन्होंने एक ऐसे बालक को जन्म दिया जिसके 20 हाथ पैर थे।

बाल्यकाल में ही रावण चारों वेदों का ज्ञात बन गया था। रावण तंत्र विद्या में भी पारंगत थे। बाद में उसने भगवान शिव की घोर तपस्या की।

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